नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर । लाखों शिवभक्तों की आस्था विश्वास का केंद्र श्रीअचलेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जलहरी की प्रतिष्ठा का कार्य शुक्रवार की शाम पांच बजे से शुरू हो गया है। जलहरी लगाने के लिए वाराणसी से पांच कारीगर आए हैं। जलहरी की प्रतिष्ठा के लिए भगवान अचलनाथ के गर्भगृह को चारों तरफ से पर्दों से ढक दिया है। शनिवार व रविवार को भगवान अचलनाथ के भक्तों को दर्शन नहीं होंगे।
15 जुलाई सोमवार को जलहरी के साथ शिवपरिवार की प्राण प्रतिष्ठा विधि- विधान के साथ स्थानीय आचार्यों द्वार की जाएगी। इसके साथ ही दो दिन में मंदिर के निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद बांस-बल्ली हटाकर फसाहट लाइट लगाई जाएगी। श्रावण मास में अचलेश्वर मंदिर आकर्षक रोशनी से जगमगाएगा। मंदिर की संचालन समिति का कहना है कि नव निर्मित मंदिर का लोकार्पण गर्भगृह के चारों खंभे चांदी से मढ़ने के बाद किया जाएगा।
भगवान अचलनाथ की जलहरी का निर्माण वाराणसी के कुशल कारीगरों से कराया गया है। वाराणसी के सुंदर लाल सोनी के कुटुंब के लोगों ने काशी विश्वनाथ की सोने की जलहरी का निर्माण किया है। जलहरी का निर्माण पूर्ण होने की सूचना होने पर दो दिन पूर्व पंडित गौरव महाराज के नेतृत्व में दस सदस्यीय टीम को तीन वाहनों के साथ जलहरी लेने के लिए वाराणसी से भेजा गया था। एक वाहन की अंदर की सीटें हटाकर जलहरी को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाया गया। जलहरी वाले वाहन के आगे पीछे एक-एक वाहन चल रहा था। जलहरी अंति सुंदर नजर आ रही है. जलहरी के मध्यभाग में नागदेवता नजर आ रहे हैं। चारों तरफ ऊं नम:शिवाय व बेलबूटे हैं।
मंदिर के प्रबंधक वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि जलहरी को प्रतिष्ठित करने के साथ ही शिव परिवार में माता पार्वती, भगवान श्री गणेश व नंदी महाराज की प्राण प्रतिष्ठा भी 15 जुलाई को किये जाने की पूर्ण संभावना हैं। कारोबारी राजकुमार महेश्वरी ने बताया शिव परिवार की मूर्तियां दालबाजार में बुधवार की रात को मंदिर कार्यालय में आ गईं हैं। जलहरी निर्माण के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
जलहरी की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य शुरू मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश उच्च न्यायालय एनके मोदी व रमेशचंद गोयल लल्ला ने बताया कि जलहरी की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पांच कारीगरों को बुलाया गया है। शुक्रवार की शाम को नियमित पूजा-अर्चना के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। मंदिर को चारों तरफ से पर्दें से ढक्क दिया गया है।
कारीगार पहले पुरानी जलहरी को निकालेंगे और उसके बाद अंदर जमी कीचड़ व गाद को खोदकर बाहर निकलेंगे, उसके बाद नई जलहरी की प्रतिष्ठित करने के लिए नीचे सीमेंट कांक्रीट का आधार तैयार किया जाएगा, उसके बाद जलहरी प्रतिष्ठित होगी।