अमित मिश्रा, नईदुनिया, ग्वालियर। अब भारतीय सेना में भर्ती होने से पहले केवल दौड़ और फिटनेस ही काफी नहीं होगी। अग्निवीर बनने के लिए मानसिक मजबूती और तनाव सहने की क्षमता भी जरूरी होगी। पहली बार, सेना भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों का बौद्धिक स्तर और मानसिक सहनशक्ति जांचने के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है।
यह परीक्षण रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करने वाले रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (DIPR) द्वारा तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य सेना में आने वाले जवानों की तनाव से निपटने की क्षमता का मूल्यांकन करना है, जिससे भविष्य में तनावजनित घटनाओं को रोका जा सके।
इस परीक्षण के लिए 15 मिनट का एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर टेस्ट तैयार किया गया है। टेस्ट के ट्रायल पिछले वर्ष किए गए थे, लेकिन तकनीकी सुधार के बाद अब इसे अगस्त 2025 से लागू किया जा रहा है। यह प्रक्रिया ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड के जिलों में आयोजित होने वाली अग्निवीर भर्ती से शुरू होगी।
भर्ती की प्रक्रिया के पहले चरण में जैसे ही उम्मीदवार 1600 मीटर की दौड़ पास करेंगे, उन्हें तुरंत एक लिंक मोबाइल पर भेजी जाएगी, जिससे वे 15 मिनट का मनोवैज्ञानिक टेस्ट दे सकें। इसमें असफल रहने वाले उम्मीदवारों को अगले चरण के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
सेना अधिकारियों के अनुसार अब तक मनोवैज्ञानिक परीक्षण सिर्फ अफसरों (NDA, CDS, JCO आदि) के लिए इंटरव्यू प्रक्रिया का हिस्सा होता था। लेकिन पहली बार जवान बनने वाले अग्निवीरों के लिए भी यह टेस्ट अनिवार्य किया गया है। हालांकि अग्निवीरों के लिए यह टेस्ट अधिकारियों से अलग फॉर्मेट में होगा, जो सैनिकों की आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया है।
ग्वालियर सेना भर्ती कार्यालय के निदेशक कर्नल पंकज कुमार के मुताबिक, अब केवल शारीरिक नहीं, मानसिक मजबूती भी उतनी ही जरूरी है। यह पहली बार है कि अग्निवीरों का भी मानसिक परीक्षण होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सेना में तनाव जैसी स्थितियों से निपटने के लिए उम्मीदवार मानसिक रूप से तैयार हैं।