Atal Museum in Gwalior: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन द्वारा महाराज बाड़ा पर तैयार कराए गए अटल म्यूजियम और डिजिटल म्यूजियम को अब होलोग्राफिक तकनीक से लैस कराया जाएगा। 7.75 करोड़ रुपए की लागत से म्यूजियम अपग्रेडेशन की परियोजना के अंतर्गत अटल म्यूजियम में होलोग्राफिक तकनीक के जरिए अटलजी को सजीव किया जाएगा। इसमें सेल्फी विद अटलजी की परिकल्पना के साथ ही एक वर्चुअल रूम तैयार किया जा रहा है, जिसमें अटलजी पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण की मंत्रणा करते हुए नजर आएंगे।
ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन द्वारा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए महाराज बाड़ा पर बने हुए अटल म्यूजियम, डिजिटल म्यूजियम एवं प्लेनेटोरियम, निर्माणाधीन इंडस्ट्रियल म्यूजियम के साथ ही मोतीमहल स्थित नगर निगम संग्रहालय को भी अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय को डेवलप करने वाली एजेंसी म्यूजियम एक्सपोज इंटरनेशनल लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कार्पोरेशन ने इसके लिए सात करोड़ 75 लाख 56 हजार 923 रुपए का बजट निर्धारित किया है। इन संग्रहालयों में तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग करने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा पर्यटकों को अधिक से अधिक आकर्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों वाली होलोग्राफिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत डिजिटल म्यूजियम में पर्यटकों का परिचय होलोग्राफिक तकनीक के जरिए संगीत सम्राट तानसेन से कराया जाएगा। इस म्यूजियम में एक रूम तैयार किया जाएगा, जिसमें बैठकर सैलानी संगीत सम्राट तानसेन को चलते और गाते हुए देख सकेंगे।
डिजिटल म्यूजियम में ही रोटोस्कोप तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक का इस्तेमाल आमतौर पर फिल्म मेकिंग में किया जाता है। रोटोस्कोप तकनीक जरिए म्यूजियम में आने वाले सैलानी स्वयं का एनिमेशन अवतार देख पाएंगे। इस तकनीक के जरिए सैलानियों की गतिविधियों को लाइव रिकार्ड किया जाएगा। इसके बाद रोटोस्कोप के जरिए उसे एनिमेशन में तब्दील कराया जाएगा। इससे सैलानियों की एक एनिमेटेड शार्ट फिल्म तैयार कर ली जाएगी, जिसे उसे सौंप दिया जाएगा।
वहीं शासकीय प्रेस बिल्डिंग में तैयार कराए जा रहे औद्योगिक म्यूजियम में सैलानियों के लिए परस्पर संवादात्मक गतिविधियों की व्यवस्था की जाएगी। यहां ऐतिहासिक ग्वालियर पाटरीज की तर्ज पर सैलानियों के लिए खुद ही बर्तन बनाने की मशीनें लगाई जाएंगी। यहां आने वाले सैलानी स्वयं ही कोई न कोई बर्तन बना सकेंगे और उसे अपने साथ भी ले जा सकेंगे।