डोल ग्यारसः फूल डोल निकले, सागरताल सहित चलित जलाशयों में श्रीजी का विसर्जन
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ग्वालियर। नईदुनिया प्रतिनिधि
भाद्रपद( भादो) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर डोल ग्यारस के दिन 9 सितम्बर से गणेश विसर्जन होना प्रारंभ हो गया है। इसके साथ ही शहर में पांच स्थानों पर चलित जलाशयों में भगवान श्रीजी का विसर्जन किया गया। दोपहर बाद से ही भक्तों ने भगवान श्रीजी की पूजा अर्चना कर उन्हें अगले वर्ष जल्दी आने की कामना के साथ विदाई दी। गणेश जी का विसर्जन अनंत चतुर्दशी 12 सितम्बर तक चलेगा । शहर में चलित जलाशयों के लिए 40 गाड़ियों की व्यवस्था की गई है। वहीं गणेश जी की बड़ी मूर्तियों को सागरताल में विसर्जित करने के लिए भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचें
रविवार की रात्रि 10ः40 बजे से डोल ग्यारस प्रारंभ हो गई। डोल ग्यारस 9 सितम्बर को रात्रि 12.30 बजे तक रही। नगर निगम और जिला प्रशासन की मदद से वरिष्ठ नागरिक सेवा संस्थान द्वारा शहर में पांच स्थानों पर 40 गाड़ियां लगाई गई हैं। इन गाड़ियों में से प्रत्येक गाड़ी पर 2-2 पानी की टंकियां रखी गई है। प्रत्येक टंकी लगभग 500 लीटर की है। इन टंकियों में पानी भरा गया है। साथ ही उनमें गंगाजल भी मिलाया गया है। इसके कारण यह पानी गंगाजल जितना पवित्र माना जा रहा है। इन टंकियों में सभी छोटे गणेशजी का विसर्जन किया गया। वहीं गणेशजी को ढोल ताशों और बैंड बाजों के साथ हंसी खुशी लोगों ने सागरताल पहुंचकर विसर्जन कर विदाई दी।
कलेक्टर ने पूजा अर्चना कर किया चलित जलाशयों का शुभारंभ
कलेक्टर अनुराग चौधरी ने सुबह अपने बंगले पर विधि विधान से गणेशजी की पूजा अर्चना कर उनका चलित जलाशय में विसर्जन किया। इसके साथ ही इन चलित जलाशयों का शहर के पांच स्थानों पर रखा गया। वहीं छटवां स्थान कटोराताल पर भी तीन चलित वाहन रखवाएं गए हैं।
श्रद्धाभाव से किया चलित जलाशयों में विसर्जन
डोल ग्यारस पर लोग कटोराताल में गणेशजी का विसर्जन करने पहुंचे। लेकिन वहां पर पहले से ही गेट बंद थे। साथ ही गेट के सामने ही वरिष्ठ नागरिक सेवा संस्थान के कार्यकर्ता टेंट आदि लगाकर बैठे थे। गणेश जी का विसर्जन करने आ रहे भक्तों से वह बड़े विनम्र तरीके से चलित जलाशयों में गणेश जी के विसर्जन की बोल रहे थे। लोग भी बहुत ही श्रद्घा भाव से गणेश जी की विधिविधान से पूजा अर्चना कर उनका वहीं पर विसर्जन कर रहे थे।
सिर्फ सागरताल में अनुमति बाकी सभी जगह प्रतिबंध
शासन ने जलाशयों में मूर्तियों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सिर्फ सागरताल में ही गणेश विसर्जन की अनुमति दी है। बाकी के सभी जलाशयों में शासन ने गणेश मूर्ति की विसर्जन पर रोक लगाई हैं। जिन जलाशयों पर रोक लगाई गई है उनमें जनकताल, रमौआ, कटोराताल, तिघरा आदि शामिल हैं।
यहां पर तैनात रहेंगे चलित जलाशय
जिला प्रशासन और नगर निगम ने वरिष्ठ नागरिक सेवा संस्थान के संस्थापक भूपेन्द्र जैन ने संस्था के सहयोगियों की मदद से इंदरगंज चौराहा, महाराज बाड़ा, फूलबाग, किलागेट, बारादरी, गाड़ियां तैनात रहीं।
ऐसे होगा मूर्तियों का विजर्सन
प्रशासन और नगर निगम ने ट्रिपल आईटीएम के पास ही बड़े-बड़े गड्ढे खुदवाए गए हैं। इन गड्ढों में बड़ी तिरपालों को बिछाकर इनमें पानी भर दिया जाएगा। इस पानी से भरे अस्थाई जलाशयों में गणेश जी की मूर्तियों का विजर्सन करेंगे। इसके बाद इन जलाशयों को ढक दिया जाएगा। लगभग 15 से 20 दिन बाद इन अस्थाई जलाशयों को फिर से खोल कर देखा जाएगा। जो भी मिट्टी की मूर्तियां होंगी वह इतने दिनों में पानी में पूरी तरह से घूल जाएंगी। जबकि पीओपी की मूर्तियां जस की तस रहेंगी। पीओपी की मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए संभवतः इस बार नया तरीका खोजा जाएगा।
पानी को करेंगे खेतों और पार्को में उपयोग
जिस पानी में गणेशजी की मूर्तियों को विसर्जित किया जाएगा, उस पानी को उपयोग लोगों के खेतों में किया जाएगा। साथ ही इसका उपयोग पार्को में भी किया जा सकता है।