नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। त्योहारों का सीजन शुरू होते ही ई-कामर्स कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए तरह-तरह के ऑफर लेकर आ रही हैं। इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी लगातार रील्स और वीडियो विज्ञापनों की बाढ़ सी आ गई है। इन रील्स में फैशनेबल कपड़ों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, होम डेकोर और किचन आइटम्स तक पर भारी छूट का दावा किया जाता है।
आकर्षक डिस्काउंट और लिमिटेड स्टॉक का लालच देकर ग्राहकों को तुरंत खरीदारी करने के लिए प्रेरित किया जाता है। रील में आकर्षक व लुभावने आफर देखकर लोग विज्ञापन पर ही क्लिक कर ऑर्डर कर देते हैं और ऑनलाइन पेमेंट भी कर देते हैं। इसके बाद या तो ऑर्डर की गई सामग्री आती ही नहीं है। यदि आ भी जाती है तो उसकी क्वालिटी व डिजायन विज्ञापन से बिल्कुल अलग होती है।
साइबर विशेषज्ञ चातक वाजपेयी का कहना है कि इन प्लेटफार्म पर दिखने वाले कई विज्ञापन असली कंपनियों के नहीं होते, बल्कि फर्जी वेबसाइट या पेज बनाकर धोखाधड़ी की जाती है। ऐसे मामलों में दो तरह की समस्याएं सामने आती हैं। पहला, कई बार ग्राहक को सामान मिलता ही नहीं है और भुगतान के पैसे चले जाते हैं।
दूसरा, अगर सामान आता भी है तो वह विज्ञापन में दिखाई गई क्वालिटी का नहीं होता, साइज गलत होता है या पूरी तरह से घटिया निकलता है। खास बात यह है कि इन फर्जी साइटों पर रिटर्न और रिफंड का विकल्प नहीं होता, जिससे ग्राहक मजबूर होकर खराब प्रोडक्ट अपने पास रखने को विवश हो जाते हैं।
फेस्टिव सीजन में ऐसे मामलों की शिकायतें बढ़ने की आशंका रहती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसी भी सोशल मीडिया रील या विज्ञापन को देखकर तुरंत आर्डर करने से बचें। यदि कोई ऑफर बहुत ज्यादा आकर्षक लग रहा है तो पहले वेबसाइट या विक्रेता की विश्वसनीयता जांचें।
गूगल पर कंपनी का नाम सर्च करके उसकी रेटिंग और रिव्यू देखें, भुगतान करते समय कैश आन डिलीवरी का विकल्प चुनें ताकि धोखे की संभावना कम रहे। आप चाहें तो साइड पर लोगों का फीडबैक भी देख सकते हैं। और जवाब भी दे सकते हैं।