ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त जैन समाज को अब जनगणना में आंकी गई अपनी जनसंख्या बेहद कम नजर आ रही है। भारतवर्ष में हुई जनगणना में जैन समाज की जनसंख्या देशभर में महज 46 लाख बताई गई है, जबकि जैन समाज का कहना है कि उनकी संख्या दो करोड़ से भी अधिक है। समाज की जनसंख्या का सही आंकड़ा देश के सामने लाने के लिए आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनिश्री प्रमाण सागर ने देशभर में जैन मंदिरों में गणना करने के लिए कहा है। इसके तहत पूरे देशभर में जैन समाज के लोगों की जनगणना हो रही है। इसमें जो आंकड़े सामने आएंगे उसे सरकार को दिया जाएगा।
ग्वालियर में जैन समाज की जनगणना का कार्य संभाल रहे नया बाजार जैन मंदिर, थाटीपुर जैन मंदिर के समन्वयक डॉ. वीकेडी जैन और दिगम्बर जैन तेरहापंथी व खण्डेलवाल तेरहापंथी जैन मंदिर के समन्वयक मंयक पाण्डेया ने बताया कि देश में हुई जनगणना में हमारे समाज की संख्या को बहुत कम बताया गया है। इसका प्रमुख कारण है कि समाज के लोगों ने जनगणना के दौरान सरनेम के बजाय अपने गोत्र लिख दिए, साथ ही उन्होंने जैन पर निशान न लगाते हुए हिन्दू के चि- पर निशान लगा दिया। इसलिए देश के सामने सही जनसंख्या का आंकड़ा लाने के लिए मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने जनगणना कराना का आदेश दिया है। इसके तहत देशभर के सभी जैन मंदिरों पर जनसंख्या फॉर्म रखे गए हैं। मंदिरों पर आने वाले श्रद्धालु इन फॉर्म को अपने साथ ले जाते हैं और इसके बाद इन्हें भरकर मंदिरों के समन्वयक आदि के पास जमा कर देते हैं। इस फॉर्म में पूरे परिवार की जानकारी भरी जाती है।
दिगम्बर-श्वेताम्बर सभी भर रहे फॉर्म
जनगणना वाले इस फॉर्म को दिगम्बर और श्वेताम्बर समाज के सभी लोग भर रहे हैं। इससे जैन समाज का पूरा डाटा देश के सामने आ जाएगा।
- श्वेताम्बर में साधु-संत वस्त्र पहनते हैं, जबकि दिगम्बर में साधु-संत वस्त्र नहीं पहनते हैं।
- दिगम्बर और श्वेताम्बर एक ही भगवान को मानते हैं, पर दिगम्बर में भगवान का श्रृंगार नहीं किया जाता न फूल चढ़ाए जाते।
- दिगम्बर संत एक समय भोजन करते हैं, जबकि श्वेताम्बर सुबह नाश्ता, दोपहर और शाम को भोजन करते हैं।
- दिगम्बर संत मोर पंखों की पिच्छी लेकर चलते हैं, जबकि श्वेताम्बर संत धागों की पिच्छी लेकर चलते हैं।
फॉर्म में भरनी है पूरी जानकारी
फॉर्म में जैन समाज के लोगों को पूरी जानकारी भरनी है। इसमें नाम, सरनेम सहित, पता, गोत्र, परिवार संख्या, आयु, व्यवसाय, मोबाइल नंबर आदि सहित अनेक जानकारी भरकर देना है।
सरनेम में नहीं लिखते हैं जैन
जैन समाज के कई लोग अपने नाम में सरनेम के स्थान पर जैन लिखने के बजाय गोत्र का नाम लिख देते हैं। इससे उनकी पहचान नहीं हो पाती। कोई गंगवाल लिखता है तो कोई कुछ और, इससे समाजबंधुओं की सही गणना नहीं हो पाती।
मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज के आदेशानुसार देशभर में जैन समाज की जनगणना का कार्य चल रहा है। ग्वालियर में अभी तक 2 हजार से अधिक फॉर्म वापस आ चुके हैं। हमारी जनसंख्या लगभग दो करोड़ से अधिक है, लेकिन गलत आंकड़ों के कारण सिर्फ 46 लाख बताई जाती है। डॉ. व्हीकेडी जैन, समन्वयक, जैन मंदिर थाटीपुर