नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, ग्वालियर ने एक अहम फैसला सुनाते हुए प्रयागराज स्थित एक्युरा क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल और वहां के डॉक्टर को इलाज में लापरवाही का दोषी पाया है। आयोग ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर के साथ बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से मृतका के स्वजन को कुल 11 लाख रुपये मुआवजा चुकाने का आदेश दिया है।
यह मामला ग्वालियर निवासी रामप्रकाश गुप्ता और उनके दिव्यांग पुत्र गीतेश गुप्ता द्वारा दायर परिवाद से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी अनीता गुप्ता को अगस्त 2023 में सांस लेने में तकलीफ होने पर प्रयागराज के उक्त अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
आरोप है कि वहां पल्मोनोलाजिस्ट (फेफड़ों के विशेषज्ञ) की 24 घंटे उपलब्धता न होने और आवश्यक उपचार समय पर न मिलने से उनकी हालत बिगड़ती चली गई। अंत में उन्हें रेफर किया गया लेकिन दूसरे अस्पताल में भर्ती के अगले ही दिन उनकी मौत हो गई। परिवार ने अस्पताल पर न सिर्फ चिकित्सकीय लापरवाही बल्कि अतिरिक्त शुल्क वसूलने और दवाइयों के लिए अपने मेडिकल स्टोर से खरीदने के लिए विवश करने के भी आरोप लगाए थे।
अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर ने लापरवाही से इनकार किया और कहा कि मरीज की हालत पहले से गंभीर थी और मानक प्रोटोकाल के अनुसार ही इलाज किया गया। वहीं, बीमा कंपनी ने अपने खिलाफ दावा अमान्य बताया। दोनों पक्षों की दलीलों और प्रस्तुत साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शर्मा (प्रधान जिला न्यायाधीश संवर्ग) ने माना कि अस्पताल में विशेषज्ञ की अनुपलब्धता और समय पर उचित उपचार न मिल पाने से रोगी की मृत्यु हुई।
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उन्होंने आदेश जारी करते हुए कहा कि बीमा कंपनी 45 दिनों के भीतर स्वजन को इलाज पर खर्च की गई राशि के रूप में 3 लाख रुपये और लापरवाही से हुई मृत्यु के लिए 5 लाख रुपये क्षतिपूर्ति दे। अस्पताल और डॉक्टर संयुक्त या पृथक रूप से मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 3 लाख रुपये और मुकदमे का खर्च 5 हजार रुपये अदा करें। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि समय पर भुगतान न करने पर इस राशि पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी लागू होगा।