Devuthani Ekadashi 2021: विजय सिंह राठाैर, ग्वालियर नईदुनिया। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 14 नवंबर को भगवान विष्णु के स्वरुप शालीग्राम और देवी तुलसी का विवाह किया जाएगा। तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन होता है। इस दिन से ही चतुर्मास की समाप्ति होगी और तुलसी विवाह के साथ ही सभी शुभ कार्य और विवाह आरंभ हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन जो लोग तुलसी विवाह संपन्न करवाते हैं, उनके ऊपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। इस दिन को देवउठनी एकादशी के रुप में जाना जाता है। देवी तुलसी भगवान विष्णु को अतिप्रिय हैं, देवी तुलसी की कृपा से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसलिए महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन व सौभाग्य के लिए व्रत पूजन करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों के पास बेटी नहीं होती वह माता तुलसी का विवाह करा कर और उनका कन्यादान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। माता तुलसी का असली नाम वृंदा था।
तुलसी विवाह विधि व शुभ मुहूर्तः एकादशी तिथि का प्रारंभ 14 नवंबर को प्रातः 05:48 बजे से होगा, यह तिथि 15 नवंबर को प्रातः 06:39 बजे समाप्त होगी। तुलसी विवाह एकादशी तिथि की गोधूलि बेला में किया जाता है। इसलिए 14 नवंबर की शाम को तुलसी विवाह होगा।
ऐसे करें तुलसी विवाहः तुलसी विवाह करने के लिए तुलसी माता के चारों तरफ पहले मंडप बना लें और देवी तुलसी को लाल चुनरी ओढ़ाएं। सुहाग और श्रृंगार की सारी सामग्री देवी को समर्पित करें। इसके बाद गणपति जी की पूजा करें और फिर भगवान विष्णु के प्रतिरूप शालिग्राम जी के साथ देवी तुलसी का विवाह करें। शालिग्राम जी को सिंहासन के साथ देवी तुलसी की सात बार परिक्रमा कर लें, फिर आरती कर विवाह के मंगल गीत गाएं।