नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। रक्षाबंधन जैसे पावन त्योहार पर जब बाजार मिठाइयों की खुशबू से महकने लगता है, तब कुछ लोग इसी मिठास में जहर घोलने लगते हैं। मध्यप्रदेश के भिंड और मुरैना जिलों से नकली मावे का एक मजबूत और खतरनाक नेटवर्क सक्रिय हो चुका है। यह मिलावटी मावा न सिर्फ त्योहार की मिठास बिगाड़ रहा है, बल्कि लोगों की सेहत को भी गंभीर खतरे में डाल रहा है।
चंबल अंचल जो पहले डकैतों के लिए बदनाम था, अब मिलावटी मावे के कारण चर्चा में है। भिंड और मुरैना में 400 से अधिक अवैध इकाइयां रोज नकली मावा तैयार कर रही हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि भिंड, जो दूध उत्पादन में पिछड़ा हुआ जिला है, वहीं से सबसे ज्यादा मावा सप्लाई हो रहा है।
यह मिलावटी मावा सिर्फ ग्वालियर तक सीमित नहीं है। इसे भोपाल, रीवा, सतना, जबलपुर जैसे प्रमुख शहरों तक बड़े पैमाने पर भेजा जा रहा है। मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाला यह मावा कई लोगों को बीमार कर रहा है, और उन्हें इसका पता भी नहीं चलता।
मिलावट करने वालों का नेटवर्क इतना सक्रिय है कि वह खाद्य सुरक्षा विभाग के मुखबिर तंत्र से भी तेज है। मावा रात को बसों और ट्रेनों के माध्यम से भेजा जाता है, जिससे पकड़ में आना मुश्किल होता है।
सबसे पहले मावे से फैट निकाला जाता है। फिर उसमें पाम ऑयल या सस्ता तेल मिलाया जाता है। वजन बढ़ाने के लिए स्टार्च और सिंथेटिक पदार्थ डाले जाते हैं।
1. गर्म पानी + आयोडीन टेस्ट: नीला रंग बना तो स्टार्च है
2. हथेली पर रगड़ें: घी निकला तो असली, बदबू आई तो नकली
3. सूंघने पर दूध की खुशबू हो तो असली
4. मुँह में चिपकने वाला मावा मिलावटी होता है
5. पानी में डालने पर घुल जाए तो असली, टूट जाए तो नकली
6. छोटी गोली बनाएं, टूटे तो समझिए मावा मिलावटी है
डॉ. सचिन श्रीवास्तव (अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा प्रशासन) के अनुसार, कि हमने त्योहार से पहले अभियान शुरू कर दिया है। मोबाइल लैब के जरिए बाजारों में घूम-घूमकर सैंपल लिए जा रहे हैं। भिंड और मुरैना से आने वाले माल पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। हालांकि हाईकोर्ट द्वारा नाकेबंदी के आदेश दिए गए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी क्रियान्विति अभी भी कमजोर है।