नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। हर साल, चाहे रबी का सीजन हो या फिर खरीफ का, ग्वालियर चंबल अंचल में खाद की न केवल किल्लत होती है, बल्कि खाद वितरण में झगड़े भी होते हैं। खाद की समस्या को लेकर क्षेत्र देश भर में चर्चित भी रहता है। यह समस्या इसलिए होती है, क्योंकि कृषि विभाग के पास अभी तक ऐसा कोई सिस्टम नहीं था, जिससे यह पता चलता कि किस किसान के पास कितनी जमीन है और उसे कितनी खाद की जरूरत है, साथ ही वह कितनी बार खाद सोसायटी से ले चुका है।
लेकिन इस समस्या का हल जिले के डबरा में पदस्थ कृषि विस्तार अधिकारी विशाल यादव ने निकाला है। उन्होंने स्वयं कोडिंग कर एक वेब ऐप विकसित किया है, जिसमें न केवल किसानों की जमीन का रकबा दर्ज होगा, बल्कि उसे किस खाद की कितनी जरूरत है और और वह कितनी बार खाद ले चुका है, यह भी दर्ज रहेगा। ऐसे में किसान या किसान के रूप में अन्य लोग जरूरत से अधिक खाद नहीं ले पाएंगे। जिससे खाद की किल्लत नहीं होगी और वितरण भी सही तरीके से होगा। यह एप अभी डबरा और भितरवार ब्लाकों में सफलता पूर्वक कार्य कर रहा है। इसे अब ग्वालियर के अन्य ब्लाकों में भी लागू किया जा रहा है। खाद वितरण के लिए इस तरह एप का उपयोग संभवत देश व प्रदेश में ग्वालियर में किया जा रहा है।
अंचल में किसान खेतों में मिट्टी की जांच कराने के बाद जरूरत के हिसाब से खाद नहीं देता, बल्कि एक खेत में बोरी के हिसाब से खाद देता है। अधिक उपज लेने के चक्कर में जरूरत से ज्यादा खाद देने का प्रयास करता है। ऐसे में अधिक जमीन वाले किसानों को ज्यादा खाद की जरूरत होती है तो वे दूसरे किसानों की ऋण पुस्तिकाओं से भी खाद लेते हैं। साथ ही कई किसान दलाल व कालाबाजारियों के टूल भी बन जाते हैं। इसलिए क्षेत्र में खाद की किल्लत होती है।
ऐसे काम करता है ऐप
डबरा में पदस्थ कृषि विस्तार अधिकारी विशाल यादव ने बताया कि हर साल खाद की किल्लत से किसानों के साथ-साथ विभाग को भी परेशानी होती थी। चूंकि उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की जावा लैंग्वेज नौकरी में आने से पहले सीखी थी। इसलिए खाद वितरण के लिए एक एप बनाने का विचार आया। उनके इस काम में तत्कालीन एसडीएम दिव्यांशु चौधरी ने आइडिया व अन्य बिंदु बताए। ऐसे में एक एप डवलप हो गया। इस रबी के सीजन में डबरा-भितरवार की 46 सोसायटियों पर लागू कर दिया गया है। साथ ही जिले के अन्य ब्लॉकों में भी प्रशासन अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिला रहा है। जिससे पूरे जिले में इसी एप से खाद का वितरण होगा। खास बात यह है कि कोई भी विभाग या प्रशासन का अधिकारी, जिसके पास एप को एक्सेस करने के अधिकार होंगे, वे कहीं से भी खाद वितरण पर पूरी नजर रख सकेंगे।
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कृषि विकास व किसान कल्याण उप संचालक आरबीएस जाटव ने कहा कि डबरा में पदस्थ हमारे कृषि विस्तार अधिकारी ने खाद की किल्लत को देखते हुए एप विकसित किया है। इसके लागू करने के डबरा में सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। अब पूरे जिले में इस एप से ही खाद का वितरण रबी के सीजन में किया जा रहा है। इस एप का प्रजंटेशन प्रशासनिक अधिकारी भोपाल में बड़े अफसरों के सामने भी करने वाले हैं।