
Gardening in Gwalior: अनूप भार्गव, ग्वालियर। बाग तो आपने कई देखे होंगे, लेकिन क्या मकान की छत पर बगिया देखी है, मेडिकल कालेज के पैथोलाजी विभाग में कंसल्टेंट डा. आकाश मेहरा ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्होंने घर की छत पर न केवल फूल लगाए हैं, बल्कि तमाम तरह के बोन्साई पेड़ भी हैं, जो इसे खास बनाते हैं। डा. मेहरा ने घर की छत को बगिया का रूप दे दिया है। यहां पहुंचने पर अहसास होता है, जैसे बगिया हवा में हो।
डा. मेहरा ने बताया कि बचपन से ही फूल-पौधे से प्यार था। पहले मैंने छोटे-छोटे गमलों में फूल लगाया। उनकी नियमित देखभाल की। अपने शौक को बड़ा रूप दे सकूं, इसके लिए जगह नहीं थी, लिहाजा, छत पर फूल-पौधे लगाना शुरू किया। आज यह छोटा सा बगीचा बन चुका है। डा. मेहरा ने बताया कि छत पर बगीचा लगाने का सपना पूरा करना आसान नहीं था। फूल-पौधे तो गमले में लगाए जा सकते थे, लेकिन अन्य पौधे उगाना मुश्किल था, लेकिन पत्नी के सहयोग से सपना साकार हुआ। छत पर बगिया बनाने में पानी रिसाव का डर था। इससे दीवारें कमजोर हो जातीं। ऐसे में विशेषज्ञ से संपर्क किया। उनकी सलाह पर छत पर प्लास्टिक की एक मोटी परत बिछाई गई। उस पर लगभग चार इंच मिट्टी डाली गई। इस बात का ध्यान रखा गया कि छत पर पानी जमा न हो।
डा. मेहरा बताते हैं कि बड़ा पेड़ हो या छोटा सा पौधा। इनमें एक समानता होती है कि ये हवा से कार्बन डाई आक्साइड को सोखते हैं। आज शहर के कंक्रीट भरे जंगल में छत का उपयोग कर वहां बगिया बनाया गया है, तो पर्यावरण के मद्देनजर प्रेरणादायक है।
डा. मेहरा की बगिया में सेवंती, गेंदा, गुलाब, गुड़हल, पैंसेरिया, साइकस, फाइकस, एडेनियम, लिली, बेला, जूही, रात की रानी, बोगेनवेलुआ, बिगूनिया, फिश पाम, मनी प्लांट, क्रोटन्स, पिटोनिया, पेन्जी, एलोवेरा, हरसिंगार, तुलसी, शमी, जेड पौधा के साथ टमाटर, सेम, बैंगन के साथ अन्य पौधे लगे हैं।