- कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने दिए आदेश
- पूरे जिले में डायवर्सन केस आरसीएमएस पर दर्ज करें
- अभी तक पांच सौ केस आरसीएमएस में दर्ज, स्टांप डयूटी से अब बचा नहीं जा सकेगा
Gwalior Administration News: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। डायवर्सन के केस अब खसरे में रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) के तहत दर्ज किए जाएंगे। ग्वालियर में करीब 20 सालों से डायवर्सन के केस दर्ज ही नहीं किए जा रहे थे। इसका फायदा स्टांप डयूटी में भू-स्वामी को मिल रहा था और शासन को राजस्व की हानि हो रही थी। इन केसों की संख्या करीब आठ हजार है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने पूरे राजस्व अमले को डायवर्सन के यह केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं, जिससे आगे से ऐसा नहीं हो सके। जिले में अभी तक पांच सौ केस आरसीएमएस में दर्ज भी किए जा चुके हैं।
ऐसे हो रहा था शासन को नुकसान: डायवर्सन यानी भूमि का उपयोग बदलने की प्रक्रिया को खसरे में दर्ज कराने का प्रचलन ही ग्वालियर में नहीं था। इसके चलते जितने भी अफसर आते गए, उन्होंने डायवर्सन के केस खसरों में दर्ज नहीं कराए। खसरे में दर्ज न होने के कारण जैसे कोई कृषि भूमि का उपयोग अब व्यावसायिक रूप से कर रहा है तो खसरे में दिखता ही नहीं था कि भूमि का उपयोग बदल गया है। इधर रजिस्ट्री कराने वाला कृषि भूमि पर रजिस्ट्री करा लेता था, जिससे स्टांप डयूटी बच जाती थी। इससे शासन को हानि हो रही थी।
जिले में 8 हजार केस: ग्वालियर जिले में ऐसे केसों की संख्या आठ हजार है, जिनमें सभी को अपडेट किया जाना है। कलेक्टर ने निर्धारित समय सीमा के साथ डायवर्सन केसों को खसरों में दर्ज करने को कहा है। खसरे में डायवर्सन दर्ज होने के बाद यह लिखा हुआ दिखने लगता है कि यह भूमि डायर्वट हो चुकी है।
पुराने केस निकालने में जुटे अफसर
राजस्व प्रकरणों के रिकार्ड से डायवर्सन के पुराने केसों को निकाला जा रहा है। चूंकि दस से बीस साल पुराने मामले हैं, इसलिए अफसरों के लिए भी आसान नहीं है। पिछले करीब पांच दिनों में 500 केस दर्ज हो सके हैं, इसलिए प्रक्रिया में समय भी लगेगा।
वर्जन
जिले में डायवर्सन भूमि के केसों को आरसीएमएस में दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। ग्वालियर में ऐसे केसों की संख्या काफी है जोकि दर्ज नहीं किए गए हैं। इससे शासन की हानि रुकेगी,क्योंकि दर्ज न होने से पता नहीं चल पाता था कि भूमि की क्या स्थिति है।
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर