Gwalior Ajay Upadhyay Column: अजय उपाध्याय, ग्वालियर नईदुनिया। इंडियन मेडिकल काउंसिल के चुनाव जोर पकड़ रहे हैं। आखाड़े में गुटबाजी खूब चल रही है। हर कोई आइएमए अध्यक्ष का पद पर दावेदारी ठोक रहा है, पर जरूरी नहीं है कि ताल ठोकने वाला हर पहलवान आखाड़े में जोर आजमा सके। विरोधी दल ने अपने पहलवानों को उतारा भी है। जैसे ही उनके नाम का फार्म कमेटी पर पहुंचा तो वहां पर पहले से ही दूसरा दल घात लगाए बैठा था, फार्म में गलतियां निकालने के लिए। जिसका डर था वही हुआ, विरोधियों को अखाड़े में उतरने से पहले ही फार्म रद कर पत्ता साफ कर दिया। कुल मिलाकर जेएएच के आखाड़े के पहलवान ने कुश्ती होने से पहले ही विरोधियों को पटखनी दे डाली। विरोधी भी क्या करें, उनके यहां पर रणनीतिकार बीमार या रणछोड़ गए, नए नवेलों पर इतना हुनर नहीं कि वह विरोधियों की चाल पकड़ सकें ।
मंत्री हटे या कूनाे जले, दाेनाें समानः आधुनिक अस्पताल के कूनो बाबा जंगल में रहकर मंगल की यात्रा कर रहे हैं।उन्हें नहीं पता कि आधुनिक अस्पताल जेएएच में बना है न कि कूनो वन में। देखें तो हर कोई यहां की यात्रा के लिए तैयार है। पहले बड़े ठाकुर थे अब कोई और है। प्रदेश के पावरफुल मंत्री के नातेदार को एक बंगला भी देना था, जिसे कूनो बाबा का बंगला दे दिया। सोचा कि मंत्री पीछे हटें या कूनो जले, हमारे लिए तो दोनों समान। कूनो के सामने धर्मसंकट है कि अखाड़े का दाव काटा तो मंत्री का रिश्तेदार बुरा मान जाएंगे, नहीं काटा तो मात मिलेगी। सब ने अनसुना किया तो मंत्री के रिश्तेदार से बात की और रेसकोर्स रोड पर दौड़ लगाई। सुना है कूनो की आग ठंडा करने किसी ने गर्दन हिलाई है।
अखाड़े में उतरा एक और बुलः जयारोग्य अस्पताल में काम काज आराम से हो, शायद ही ऐसा कभी हो। क्योंकि यहां पर नीति के बीच में राज की आस जो लोग पाल कर बैठे हैं। यही कारण है कि यहां पर मरीज और उनके इलाज व अटेंडेंट की परेशानी से अधिक चिंता लोगों को अपने ओहदे की है। आए दिन जयारोग्य अस्पताल में होने वाली हड़ताल से काम काज प्रभावित होता, लेकिन इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हड़ताल करने वाले या तो विरोधी माने जाते हैं या फिर उनके खास सिपह सलार होते हैं। ये दोनों ही घातक हैं, वजह अस्पताल में मरीज के इलाज व उनकी सुविधाओं पर बात नहीं होना। इसके बजाय शह और मात का खेल चलता है। जेएएच के आखाड़े में पहले नर्सेस को बुल माना गया, अब जय अखाड़े के नए बुल बन गए हैं। व्यवस्थाओं को बनाने में जो भी रोड़ा बने उसे आइना दिखाने में संकोच नहीं करना चाहिए।