विश्व तंबाकू निषेध दिवस: कोविड होने के बाद छोड़ दिया सेवन, उनके साथ परिवार भी है खुश
Gwalior Anti tabeco Day: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना की दूसरी लहर में कई परिवारों ने अपनों को खो दिया। इंसान की जान की कीमत इस लहर में ही स्पष्ट हुई, जो शहरवासी संक्रमित हुए उनका प्यार अपनों की प्रति बढ़ा। जब वे स्वस्थ हुए तो महसूस किया उन्हें नया जीवन मिला है। साथ ही दिल में जीने की तमन्ना जागी और उन बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प लिया, जिनकी वजह से आए दिन पत्नी या फिर बच्चों से नोकझोंक हुआ करती थी। कुछ ऐसे चेहरे हमारे भी सामने आए, जिन्होंने कोविड के बाद स्मोकिंग और तंबाकू के सेवन से तौबा कर ली है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर जब 'नईदुनिया ने कोरोना पाजिटिव से निगेटिव हुए सदस्यों से बात की तो वे बोले-उन्होंने खासे प्रयासों से निकोटिन की वजह से झुलसे फैफड़ों को एक बार फिर से तरोताजा किया है। अब वे रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। अतिरिक्त खर्चा भी रुक गया और परिवार के सदस्य भी खुश हैं। वहीं विषय विशेषज्ञों का कहना है तंबाकू की वजह से परिवारों की बर्बादी होती है। संक्रमित होने वाले सदस्यों को कोरोना की दूसरी लहर में यह बात समझ में आई है। युवाओं को इस तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए। इस वर्ग ने तनाव मुक्ति के लिए निकोटिन को माध्यम बनाया है। जरा सा परेशान होने पर या तो वे मुंह में गुटखा डाल लेते हैं या फिर गुमठी की तरफ स्मोकिंग करने चल पड़ते हैं। जबकि देखा जाए तो निकोटिन धीरे-धीरे धमनियों को डैमेज करता है। अधिक मात्रा जब हो जाती है तब ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
कोविड के बाद मिला दूसरा जीवन
हरीशंकरपुरम में रहने वाले सुरेश घोड़के बताते हैं कि उनकी स्मोकिंग की आदत की वजह से बेटी और पत्नी से आए दिन झगड़ा होता था। वे घर से स्मोकिंग करने का वादा करके निकलते थे, जिसे बाहर निकलकर तोड़ देते थे। कोविड की दूसरी लहर के बीच वे पाजिटिव आए और लगभग दस दिन तक हास्पिटल में रहे। इस बीच इंटरनेट मीडिया के जरिए उन तक कई लोगों के निधन की सूचना पहुंची। इन मौतों से उनका दिल दहल गया, मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। निगेटिव होने को उन्होंने खुद का दूसरा जन्म माना, इसलिए हास्पिटल से डिस्चार्ज होने के साथ स्मोकिंग कभी न करने का संकल्प लिया। आज वे स्वस्थ हैं और स्मोकिंग करने वाले साथियों को भी इस बुरी आदत को छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
दूसरों को प्रेरित करने बनाया मिशन
जिला तंबाकू कंट्रोल सेल के नोडिल आफिसर डा. आलोक पुरोहित ने बताया वे अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझते हैं, इसलिए स्मोकिंग करने और गुटखा खाने वालों को के लिए वे अपने स्तर पर अभियान चलाते हैं। हास्पिटल के स्टाफ और मरीजों को डा. पुराहित आए दिन तंबाकू के नुकसानों से अवगत कराते हैं। जो मजबूर होते हैं उनकी काउंसलिंग भी करते हैं। उनके प्रयासों के फलस्वरूप कई लोग इस गंदी आदत से छुटकारा पा चुके हैं।