विक्रम सिंह तोमर, नईदुनिया, ग्वालियर। जेल की ऊंची दीवारों और सख्त पहरे के बीच अब बदलाव की नई इबारत लिखी जा रही है। ग्वालियर सेंट्रल जेल, जो कभी केवल सजा काटने का ठिकाना मानी जाती थी, अब कैदियों के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता का केंद्र बन गई है। अब तक जेल में कैदियों को स्नातक-स्नातकोत्तर की डिग्री और डिप्लोमा करवाया जा रहा था लेकिन अब कैदी जेल से दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई भी कर सकेंगे।
दरअसल, हर कैदी स्नातक-स्नातकोत्तर की डिग्री डप्लोमा जेल में नहीं कर पा रहा है। इसके पीछे कारण है कि वह 12वीं उत्तीर्ण नहीं है। इस समस्या को ध्यान में रखकर जेल प्रबंधन अब जेल में दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं करवाने की तैयारी कर रहा है। इसको लेकर जेल प्रबंधन और ओपन बोर्ड के बीच संवाद और पत्राचार भी लगातार चल रहा है। शीघ्र की जेल में सजा काट रहे कैदी दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई भी जेल से कर सकेंगे।
जीवाजी विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षण संस्थान और भोज विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने इस योजना से जुड़कर कैदियों को शिक्षा और कौशल विकास का अवसर दिया है। यहां कुछ कैदी पत्रकारिता की बारीकियां सीख रहे हैं, तो कुछ फैशन डिजाइनिंग में हाथ आजमा रहे हैं।
वहीं कई कैदी औषधीय पौधों की खेती सहित अन्य कोर्स भी कर रहे हैं। वर्तमान में 277 कैदी ऐसे हैं जो यहां से अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर रहे हैं। यह कैदी बीए, बीकाम, एमकाम, एमए जैसे पाठ्यक्रमों के साथ-साथ पत्रकारिता, फैशन डिजाइनिंग, जीएसटी, औषधीय खेती, फलित ज्योतिष और वैदिक गणित जैसे विशेष कोर्स भी कर रहे हैं।
सिर्फ जेयू ही नहीं, बल्कि भोज यूनिवर्सिटी और इग्नू भी कैदियों की पढ़ाई में सहायक बन रही हैं। भोज यूनिवर्सिटी से कई कैदी बीए, एमए और डीसीए जैसे कोर्स कर रहे हैं, वहीं इग्नू के केंद्र से भी कैदी पढ़ाई कर रहे हैं। इस पहल में लगभग 212 पुरुष और 65 महिला कैदी शामिल हैं।
पहले जेलों में कैदियों को बढ़ईगीरी, लोहारगिरी और मिस्त्री जैसे पारंपरिक कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता था। पर अब वक्त बदल रहा है। कैदियों को केवल पुराने हुनर तक सीमित नहीं रखा जा रहा, बल्कि आधुनिक कौशलों जैसे कंप्यूटर शिक्षा, पत्रकारिता, संगीत, फैशन डिजाइनिंग और हस्तशिल्प से भी जोड़ा जा रहा है।ग्वालियर सेंट्रल जेल का यह प्रयास इस बात का सबूत है कि कैदी सिर्फ अपनी सजा काटने के लिए नहीं, बल्कि अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिए भी जेल में हैं।
कैदियों के लिए उच्च शिक्षा की पढ़ाई काफी समय से हो रही है, लेकिन उसके लिए कैदियों का दसवीं और बारहवीं करना भी जरूरी है। यही प्रयास किया जा रहा है कि अधिकतर कैदी शिक्षित हो सकें। - विदित सरवईया, अधीक्षक, सेंट्रल जेल ग्वालियर