Gwalior-Chambal Politics: ग्वालियर-चंबल के नेताओं में श्रेय लेने-देने की होड़, छोटी-सी अनुमति पर भी आभार पत्रों की भरमार
Gwalior-Chambal Politics: भौगोलिक दृष्टि से गुना-शिवपुरी व ग्वालियर संसदीय क्षेत्र उलझे हुए हैं। शिवपुरी जिले की दो विधानसभा सीटें करैरा व पोहरी ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में आते हैं। पहले ग्वालियर व चंबल संभाग के मुख्यालय ग्वालियर में ही थे। अब चंबल संभाग का मुख्यालय मुरैना में हैं। जबकि दोनों अंचलों की राजनीति की धुरी ग्वालियर जिला ही है।
Publish Date: Fri, 30 May 2025 07:30:57 AM (IST)
Updated Date: Fri, 30 May 2025 07:30:57 AM (IST)
ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर की फाइल फोटो।HighLights
- वर्चस्व की लड़ाई में विकास के अन्य मुद्दे पीछे छूटे
- रुके कामों की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं
- सोशल मीडिया पर आमने-सामने मंत्री-सांसद समर्थक
जोगेंद्र सेन, नईदुनिया ग्वालियर (Gwalior-Chambal Politics): राजनीति जो न कराए कम है। मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक में ग्वालियर-चंबल का अलग ही स्थान होता है। इन दिनों ग्वालियर-चंबल में श्रेय लेने-देने की राजनीति गरम है। छोटे से कार्य की अनुमति या सैद्धांतिक स्वीकृति होने पर ही आभार पत्र जारी किए जाने की बाढ़ लग रही है।
इसके केंद्र में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) होते हैं या फिर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar)। ताजा मामला ग्वालियर-बेंगलुरु के बीच प्रस्तावित सीधी नई ट्रेन के श्रेय को लेकर है। रेलवे ने इस मार्ग पर यात्रियों की उपलब्धता का सर्वे कर इस नई ट्रेन को स्वीकृति दी।
अभी बहुत कुछ तय होना बाकी है, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व नरेंद्र सिंह तोमर के खास ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह और उनके समर्थकों के बीच श्रेय लेने-देने की होड़ शुरू हो गई। अपने-अपने दावे को पुष्ट करने के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित किए गए। फिर आभार पत्र भी जारी किए गए।
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जिन कामों में पिछड़ गए, उनकी कोई नहीं करता बात
इससे पहले भी ग्वालियर के नीडम आरओबी का फीता काटने से लेकर वेस्टर्न बायपास व ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की सैद्धांतिक स्वीकृति के लिए श्रेय की होड़ साफ तौर पर देखने को मिली थी।
उधर, नए कार्यों पर श्रेय लेने के बीच पीएम ई-बस, ग्रीनफील्ड सिटी और नए आरओबी जैसे विकास कार्यों में ग्वालियर के पिछड़ने की चिंता किसी को नहीं है।
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Gwalior-Chambal Politics: ज्योतिरादित्य सिंधिया vs मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
- पांच साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद अंचल के बड़े नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता शुरू हो गई थी।
- दोनों ही नेता ग्वालियर-चंबल संभाग में अपना राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं। ज्योतिरादित्य और नरेंद्र सिंह का राजनीतिक कद काफी बड़ा है। वे अपने समर्थक मंत्रियों और सांसदों के माध्यम से वर्चस्व की लड़ाई लड़ते रहते हैं।
- ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे के माने जाते हैं और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ज्योतिरादित्य के पक्के समर्थक हैं।
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- भारत सिंह अपने संसदीय क्षेत्र में ज्योतिरादित्य के दखल पर शीर्ष व प्रदेश नेतृत्व के सामने आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। इसके बाद ज्योतिरादित्य को अपने गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र को छोड़कर अंचल में केंद्र व प्रदेश सरकार के विकास कार्यों की समीक्षा से किनारा करना पड़ा।