Gwalior Collector ki Rough copy: वरुण शर्मा, ग्वालियर नईदुनिया। ग्वालियर में आते ही कलेक्टरी में सबसे पहले कोरोना से दो-चार होने वाले कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के लिए अब समय दोबारा वही बड़ी चुनौती लेकर आया है। पहले लॉकडाउन था और कोरोना भी पहली दफा था। इस बार न तो लंबा लॉकडाउन है न ही आवाजाही पर रोक। संक्रमण की रफ्तार गजब है और जिम्मेदारियों का भार उतना ही है। पहले ग्वालियर में कोविड संक्रमण की रोकथाम में अफसरों ने बखूबी काम किया और सभी व्यवस्थाओं को संभाला भी। अब और कठिन समय है, इसलिए अब फिर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का वही कौशल ही चाहिए। कोरोना का संक्रमण बढ़ जाए, लेकिन व्यवस्थाओं में मजबूती और अफसराें की ड्यूटी दमदार ही रहना चाहिए। हर रोज सुबह से लेकर दफ्तर व कमांड सेंटर में समीक्षा, एक-एक इंसीडेंट कमांडर की निगरानी भी इतनी आसान नहीं है। अब सभी को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से समझना होगी।
इधर संक्रमण उधर टीकाकरण की लड़ाईः कोरोना का संक्रमण अपनी तेजी से बढ़ रहा है, उधर टीकाकरण को लेकर भी अफसरों के सामने चुनौती कम नहीं है। 45 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए रिकार्ड तोड़ केंद्र बना दिए गए हैं, लेकिन उन्हें घरों से टीकाकरण केंद्र पर लाना अब भी आसान नहीं हो पा रहा है। समाज के हर वर्ग जैसे धर्मगुरु, व्यापारिक संगठन, कर्मचारी संघ से लेकर आमजन के बीच जा-जाकर बात की जा रही है कि आप टीकाकरण कराइए, सेंटर जहां चाहिए वहां चलकर आ जाएगा। प्रतिनिधियों से भी रोज 250-250 टीकाकरण कराए जाने का आश्वासन लिया जा रहा है। टीकाकरण ही इस समय की सबसे बड़ी संजीवनी है, इसलिए यही समझाया भी जा रहा है। कोरोना के साथ-साथ प्रशासन की टीकाकरण कराने की भी लड़ाई है। आंकड़ों पर रोज भोपाल से निगरानी हो रही है,अफसरों से टीकाकरण के आंकड़ों पर सवाल पूछे जा रहे हैं।
सख्ती अच्छी है पर संयम भी जरूरीः कोरोना गाइडलाइन का पालन न करने पर सख्ती करने के लिए अफसरों को फुल फ्री हैंड मिला है। इसका यह कतई मतलब नहीं है कि सख्ती के आगे संयम और न्याय के सिद्धांतों को छोड़ दिया जाए। जो नहीं मान रहे हैं उन पर बिना समय गंवाए कार्रवाई करना भी चाहिए, लेकिन जहां पहली गलती और भूल जैसी बात है वहां आपकी सख्ती किसी की जेब पर भारी नहीं पड़ना चाहिए। जेब ही नहीं बल्कि किसी की रोज चलने वाले दुकान या कमाई को प्रभावित भी नहीं करना चाहिए। हाथ में चालान के कट्टे पकड़कर खड़े होने वाले किसी भी विभाग के अफसर हों या पुलिसकर्मी, संयम-सम्मान जरूर हो। गाइडलाइन का पालन दिखना चाहिए, अब बाजारों में दिखने भी लगा है। कहीं-कहीं शिकायतें आ रहीं हैं, लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी किया जा रहा है, बिना देखे कार्रवाई हो रही है।
लापरवाही पर लगाएं लॉकडाउनः कोरोना को लेकर देश-प्रदेश में व्यवस्थाओं की स्थिति, कितने इलाज हो रहे हैं और कितने मजबूत इंतजाम हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। भोपाल-इंदौर सहित दूसरे शहरों में ग्वालियर से ज्यादा हालात खराब हैं। अभी ग्वालियर में अस्पतालों में इतना हाहाकार नहीं है, होम आइसोलेशन वालों की संख्या भी ठीक है। अब समय है खुद की लापरवाही पर लॉकडाउन लगाने का। जो जरूरी है, बस वही करें और अपने घर में रहें। बेवजह की आवाजाही आपको और आपके स्वजन को खतरे में डाल सकती है। सरकारी इलाज और इंतजाम के भरोसे अगर आप जानकर लापरवाही कर रहे हैं तो आगे की स्थिति खतरनाक हो सकती है। संक्रमण का इलाज तो होगा, लेकिन जब इंतजाम ही नाकाफी हो जाएंगे तो आप कहां जाएंगे। यह बड़ी मुश्किल की घड़ी है, इसलिए समझ लीजिए। मास्क, शारीरिक दूरी और सैनिटाइजेशन को भूलकर भी मत छोड़िए। सुरक्षा ही बचाव है।