
Gwalior Court News: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। दशम जिला न्यायाधीश अशोक शर्मा ने बुधवार को अचलेश्वर मंदिर के संचालन के लिए रिसीवर की नियुक्ति कर दी है। सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश विनोद भारद्वाज को रिसीवर बनाया गया है। उनकी देखरेख में मंदिर का संचालन होगा। मंदिर के संबंध में वही फैसला ले सकेंगे। मंदिर संचालन के लिए एक गाइड लाइन बनाना होगी। मंदिर के लेनदेन का आडिट भी कराना होगा। मंदिर ट्रस्ट के पूर्व पदाधिकारियों को सिर्फ दर्शन के अधिकार होंगे। मंदिर के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
अचलेश्वर मंदिर ट्रस्ट के चुनाव दो साल में होने थे, लेकिन यह चुनाव दो साल में नहीं कराए गए। पुरानी कार्यकारिणी ही चार साल तक कार्य करती रही थी। मंदिर पर अनियमितता बढ़ गई थी, जिसके चलते मामला हाई कोर्ट पहुंच गया। हाई कोर्ट के आदेश के बाद संतोष सिंह राठौर ने जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया। जब मंदिर का मामला जिला न्यायालय पहुंचा तो पाया कि ट्रस्ट जिस उद्देश्य से बनाया गया था, उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर रहा था। ट्रस्ट के पदाधिकारियों को हटा दिया गया। कलेक्टर की निगरानी में एक कमेटी बनाई गई थी। साथ ही सहयोग के लिए जिला न्यायालय के शासकीय अधिवक्ताओं को भी तैनात किया गया था। कोर्ट ने मंदिर के संचालन को लेकर कई प्रतिबंध लगाए। खातों से होने वाली निकासी पर रोक लगा दी। बिना कोर्ट की अनुमति के मंदिर खातों से आहरण नहीं कर सकते थे। सभी परिस्थितियों को देखते हुए रिसीवर का सुझाव दिया गया। एसडीएम अनिल बनवारिया की तरफ से सेवानिवृत्त न्यायाधीश विनोद भारद्वाज का नाम दिया गया। दूसरा नाम सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश राजीव शर्मा का आया। कोर्ट ने विनोद भारद्वाज को रिसीवर नियुक्त कर दिया। उनको दिशा निर्देश भी जारी किए हैं।
कोर्ट ने रिसीवर के लिए यह दिशा निर्देश किए हैं जारी
- मंदिर का निर्माण अधूरा है। उसका निर्माण कार्य पूरा कराएंगे।
-भविष्य में मंदिर का संचालन व कार्यकारिणी गठन के लिए बेहतर और पारदर्शी, सरल नियम तैयार करेंगे।
-जून 2005 के बाद से लेखाओं का परीक्षण कराएंगे। परिसंपत्तियों का सत्यापन भी कराएंगे। जिसके लिए पंजीयन लोक न्याय द्वारा कराई गई जांच एवं लेखा परीक्षा का भी सहारा ले सकते हैं।
-मंदिर की संपत्तियों की एक सूची तैयार करना होगी।
-मंदिर में प्राप्त होने वाले दान को खातों में जमा करने के लिए व्यवस्था कराना होगी। कैशबुक का संधारण भी कराना होगा।
-मंदिर परिसर की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 24 घंटे दो-दो गार्ड तैनात करने होंगे।
-मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न आए, उसके लिए व्यवस्थाएं बनाना होगी। सफाई, भंडारा, भोजन, प्रसादी आदि के वितरण में कोई दिक्कत न आए।
-मंदिर की संपत्तियों पर कोई अतिक्रमण है, उन्हें चिन्हित कर जिला प्रशासन की मदद से हटवाएंगे।
-दान की राशि जमा करने के लिए स्पष्ट जानकारी प्रदर्शित की जाए। दान की राशि की जिम्मेदारी किसी व्यक्तिगत को न दी जाए। दानपेटी में डाली जाए या कार्यालय में रसीद देकर जमा की जाए।
-मंदिर के दैनिक खर्चों की राशि का आहरण कराया जाए।
-यदि मंदिर के संचालन या नियम में कोई दिक्कत आ रही है तो उसके लिए एससी व्यास जिला न्यायाधीश का मार्गदर्शन लिया जा सकता है।
-मंदिर ट्रस्ट के भविष्य में होने वाले चुनाव में धर्मावलंबी व शहर के नागरिकों को जोड़ा जाए। सूचना प्रकाशित की जाए, ताकि वह भी सदस्य बन सकें। इसके लिए सदस्यता अभियान भी चलाया जाए।