Gwalior Dharma Samaj News: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। गुप्तेश्वर महादेव मंदिर पर बने कई सौ साल पुराने कुंड को लेंटर लगाकर पाट देना मंदिर प्रबंधन को भारी पड़ गया। महाशिवरात्रि से कुंड पर बिछाई गई मारबल का चटकना शुरू हो गया था। रविवार की देर शाम तेज आवाज के साथ मारबल की पटिया टूट कर सीधे तीस फीट गहरे कुंड में समा गई।
स्टेट काल के समय कई सौ साल पहले गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर पहाड पर बनाया गया था। वहां पर लोगों एवं पुजारी को पानी की कमी नहीं हो, इसके लिए कई कुंड बनाए गए थे। एक कुंड भगवान भोलेनाथ की पिण्डी के सामने भी बना हुआ था, लेकिन मंदिर प्रबंधन ने कुछ दशक पहले इस कुंड को गाटर बिछाकर बंद कर दिया और इस पर मारबल बिछा दिया था। बारिश के दौरान एवं मंदिर की सफाई से निकला पानी पटियों के जरिए मंदिर के सामने बने कुंड में बैठता रहा। इसके चलते महाशिवरात्रि पर कुंड पर बिछे मारबल का चटकना शुरू हो गया था। रविवार की शाम छह बजे के करीब तेज आवाज के साथ कुंड पर बिछाई गई पटिया टूटकर कुंड में गिर गईं। साथ ही उसमें गाटर आदि भी समा गए। यह देखकर मंदिर पर बैठे पुजारियों में दहशत फैल गई।
कई कुण्ड बने हैं, जिनमें 12 माह रहता है पानीः गुप्तेश्वर महादेव मंदिर पर पहाडी से बहकर आने वाले पानी को सहेजने के लिए कई कुंड बनाए गए हैं। इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ पर होने वाले प्रतिदिन अभिषेक के पानी को भी सहेजने के लिए सामने ही बडा कुंड बनाया गया था। बारिश का पानी इन कुंडाें में एकत्रित होता था। इसके कारण यहां पर कभी भी पानी की कमी नहीं होती थी। साथ ही यहां पर हमेशा हरियाली रहती थी।
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महाशिवरात्रि से ही कुंड के ऊपर बिछी मारबल की पटियाओं का चटकना शुरू हो गया था। इसके साथ ही मंदिर में होने वाले अभिषेक, एवं सफाई के दौरान निकलने वाला पानी भी इसी कुंड में धीरे-धीरे बैठता गया। रविवार को मंदिर के सामने तेज आवाज के साथ जमीन व पटिया धसक गई।
आरबी शर्मा, पुजारी गुप्तेश्वर महादेव मंदिर