
Gwalior Food News: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। बारिश के मौसम में पानी पूरी या गोलगप्पों की बात चले तो मुंह में पानी आ जाता है। कुछ तो दिमाग में विचार आ भर जाने से बाजार की तरफ निकल पड़ते हैं। इतना ही नहीं बारिश के मौसम में भी भीगते हुए युवा बाजार चले जाते हैं। इसके बाद यदि पानी पूरी कई स्वादों में मिल जाए तो खुशी शब्दों में बयां नहीं हो पाती है। ऐसा ही स्टाल लगता है जयेंद्रगंज िस्थत राजीव प्लाजा के पास। यहां पहुंचने वाले स्वाद के दीवानों को एक नहीं, छह अलग-अलग पानी के स्वाद के साथ पानी पूरी खिलाई जाती है। भीलवाड़ा राजस्थान से ग्वालियर आए प्रहलाद गुर्जर ने कुछ वर्ष पूर्व यहां आकर पानी पूरी का व्यवसाय शुरू किया। सामान्य तौर पर खट्टे-मीठे मसालेदार पानी के साथ पानी पूरी उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन इन्होंने छह तरह के स्वाद में पानी पूरी खिलाना शुरू किया तो शहरवासी के इस पानी पूरी के दीवाने हो गए। अब इनका छोटा भाई अशोक गुर्जर स्टाल की जिम्मेदारी संभाल रहा है।
गोलगप्पे के स्टाल संचालक ने बताया कि हम छह तरह के स्वादों में पानी तैयार करते हैं। पानी पूरी के लिए जीरा फ्लेवर, लहसुन फ्लेवर, पोदीना फ्लेवर, नींबू फ्लेवर, हींग रेगुलर फ्लेवर के साथ ही विशेष तरह के मसालों से तैयार डीएनडी (देव नारायण दरबार) फ्लेवर में पानी पूरी का पानी बनाते हैं। नाम के अनुसार ही पानी का स्वाद भी वैसा ही रहता है, लेकिन डीएनडी स्पेशल फ्लेवर के पानी को बनाने का तरीका भी खास है। इस पानी बनाने के लिए सबसे पहले हरा धनिया, पोदीना और टमाटर को पीसकर चटनी तैयार करते हैं। इसके बाद स्वाद के अनुसार सादा नमक, काला नमक, जलजीरा मसाला और राजस्थान के तैयार कुछ विशेष मसालों को पानी में मिलाते हैं। इस पानी में सबसे बाद में कुछ घंटों तक भिगा कर रखी इमली को मिला देते हैं। खास तरह से बने इस डीएनडी पानी का खट्टा-मीठा स्वाद लोगों को बहुत पसंद आता है। कई बार लोग छह तरह के अलग-अलग पानी का स्वाद लेने के लिए सभी स्वाद का एक-एक गोलगप्पा खाते हैं।
सभी जगह पानी पूरी खिलाने के लिए मटके या स्टील की टंकी का इस्तेमाल होता है, जिसमें से पानी भरने के लिए हाथों में दस्ताने या फिर बिना दस्ताने का उपयोग किए बिना ही गोलगप्पे परोसे जाते हैं। ऐसा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यहां छह अलग-अलग स्वाद के लिए चीनी मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। गोलगप्पे में पानी भरने के लिए कटोरीनुमा डोंगा में छेद करके उपयोग करते हैं। जिससे पानी की शुद्धता बनी रहती है