Gwalior Health News: अजय उपाध्याय. ग्वालियऱ। कोरोना को हरा चुके (पोस्ट कोविड) बच्चों में कई तरह की बीमारियां देखने को मिलीं थीं। जेएएच की ओपीडी में ऐसे करीब आधा दर्जन बच्चे पहुंचे हैं, जिनके शरीर पर लाल चकत्ते, मुंह में छाले, जीभ का रंग बदलना, बुखार या फिर त्वचा निकलने जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं। डॉक्टर इसे कावासाकी बता रहे हैं। यह बीमारी पांच साल तक के बच्चों में मुख्यत: पाई जाती है जो बच्चों के हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है। बीमारी को म्यूकोस्यूटियस लिम्फ नोड सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। इसके लक्षण मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिस्टम (एमआइएस) से मिलते-जुलते हैं। कावासाकी भी एमआइएस की तरह ही घातक है। बच्चों में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में रिएक्शन: शिशु रोग विशेषज्ञ डा. दीपक अग्रवाल के मुताबिक जब बच्चों का शरीर दूसरे वायरस से लड़ने खुद को मजबूत करता है तो इस प्रक्रिया में वह कावासाकी बीमारी की चपेट में आ सकता है। या फिर यूं कहें कि शरीर की इम्युनिटी सिस्टम के रिएक्शन के कारण यह बीमारी हो जाती है। यह लक्षण पोस्ट कोविड सिंड्रोम से मिलते जुलते हैं। पहले पता लगाते हैं कि बच्चे में कावासाकी बीमारी है तो उसे आइबीआइजी (इंट्राविनस इम्युनोग्लोब्यूलिंस) की मदद से इलाज करते हैं।
क्या है कावासाकी रोग
यह ऐसा रोग है जिससे हृदय, फेफड़े, गुर्दे और आंत में सूजन आ जाती है। यह बीमारी हमेशा बच्चों को होती है, खासकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। इस बीमारी का इलाज नहीं हुआ तो ये बच्चों में गंभीर हृदय रोग का कारण बन सकती है। यदि समय रहते इसकी जांच हो जाए तो उपचार संभव है। हालांक िकई मामलों में देखा गया है कि यह बीमारी बिना इलाज के अपने आप भी ठीक हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को पांच दिनों तक तेज बुखार रह सकता है। बच्चों की त्वचा रूखी हो जाती है और हाथ व तलवे लाल हो जाते हैं। आंखें लाल होना, गले में गिल्टी उठना, गद्दी व तलवों की त्वचा का निकलना इसके प्रमुख लक्षण हैं। मरीजों के शरीर पर लाल चकत्ते व पेट में दर्द, उल्टी-दस्त की शिकायत भी हो सकती है
नसों में खून की क्लॉटिंग के कारण यह परेशानियां
बच्चों में उत्पन्न हो जाती है। यह तब होता है जब शरीर की रक्षा प्रणाली खुद को वायरस से लड़ने के लिए मजबूत करती है। इस तरह के करीब आधा दर्जन केस देखने को मिले हैं। यदि बच्चे में इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो नजर अंदाज न करें। डाक्टर से परामर्श लें, क्योंकि यह बीमारी हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है
डा. अजय गौड़, शिशुरोग विशेषज्ञ जयारोग्य अस्पताल