Gwalior Health News: ग्वालियर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। अंचल के सबसे बड़े अस्पताल की व्यवस्थाएं ही अजब नहीं यहां के जिम्मेदार भी गजब हैं। जिस अस्पताल के ट्रामा सेंटर और कैजुअल्टी को चलाने के लिए वरिष्ठ डाक्टरों की सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, वही कमेटी फेल हो गई। रोज दर्द से कराहते और इलाज के लिए मरीजों का संघर्ष जेएएच में अब आम बात हो गई है। यहां जिम्मेदारों के पास एक ही डयूटी है कि मरीजों को बेहतर इलाज देना, बस वही यहां नहीं होता है। मरीजों को प्रबंधन से लेकर मशीनों तक से धोखा मिल रहा है, ट्रामा सेंटर में एक्स-रे मशीन का सी-आर सिस्टम बूढ़ा होने के कारण मरीजों का लोड नहीं झेल पा रहा है, मरीज त्रस्त हैं। हालत देखिए बीती रात तो सी-आर सिस्टम चलते-चलते खराब ही हो गया, जिससे जांच अटक गईं। एक और मुसीबत कि सीटी जांच के लिए भी मरीजों को 500 मीटर का फेरा लगवाया जा रहा है। इस व्यवस्था पर प्रभारी डीन के पास ठोस जवाब नहीं है तो ग्वालियर के मंत्री का कहना है कि सरकार बेहतर काम कर रही है। यह बता दें कि पुरानी व्यवस्था के तहत माधव डिस्पेंसरी के अंदर से ही मरीज को सीटी जांच के लिए स्वजन ले जाते थे, लेकिन यह व्यवस्था माधव डिस्पेंसरी के पीछे का हिस्सा क्षय रोग विभाग और नर्सिंग के लिए दे दिए जाने के बाद बंद हो गई।
अस्पताल में गजब लापरवाही है। आकस्मिक उपचार विभाग में आने वाले गंभीर मरीजों को दोपहर दो बजे के बाद विभाग में ही उपचार देकर स्थिर होने तक भर्ती करने के निर्देश हैं, इसके बाद भी आकस्मिक उपचार विभाग में मरीजों का उपचार नहीं किया जा रहा है। नईदुनिया टीम गुरुवार दोपहर दो बजे से तीन बजकर तीस मिनट तक आकस्मिक उपचार केन्द्र पर मौजूद रही। इस दौरान एक दर्जन से अधिक मरीज आकस्मिक उपचार विभाग पहुंचे, इनमें कई मरीज गंभीर भी थे, लेकिन किसी को भी कमरा नम्बर एक में भर्ती तक नहीं किया गया, जबकि गजराराजा मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता के यह निर्देश है कि दोपहर दो बजे के बाद मरीज का उपचार कैजुअल्टी में ही कर स्थिर होने पर उसे संबंधित विभाग भेजा जाए, लेकिन यहां पलंग खाली पड़े रहते हैं।
सवाल: आप प्रभारी डीन के साथ ट्रामा और आकस्मिक उपचार विभाग की संचालन समिति के अध्यक्ष हैं, लेकिन ट्रामा सेंटर और आकस्मिक उपचार विभाग की व्यवस्था दुरुस्त क्यों नहीं हो पा रही। यहां रोजाना मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है?
जवाब: जहां तक ट्रामा सेंटर की बात है, तो वहां की व्यवस्थाएं बेहतर करने के लिए नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। निगरानी समिति के अध्यक्ष होने के नाते वहां से जो समस्याएं समिति के सामने लाई जाती हैं, उनको पूरा करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को लिखा जाता है।
सवाल: व्यवस्थाएं दुरुस्त होने के बजाए गड़बड़ ज्यादा लगती हैं, ऐसे में आप क्या देख रहे हैं?
जवाब: पहले से काफी सुधार हुआ है, निगरानी समिति के सामने जो भी शिकायत आई उनको दूर कराया गया। अगर अब भी कुछ ठीक नहीं चल रहा है तो इसे संज्ञान में लेकर कार्रवाई की जाएगी।
सवाल: निगरानी समिति द्वारा कितनी बार यहां का निरीक्षण किया गया?
जवाब: स्वयं मैं और समिति के सदस्य कई बार ट्रामा सेंटर और कैजुअल्टी का निरीक्षण कर चुके हैं। हमारे एक सदस्य डा.पंकज श्रीवास्तव तो हर दिन वहां की व्यवस्थाएं बेहतर करने के प्रयास में ही लगे रहते हैं।
जयारोग्य अस्पताल में मरीजों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। आपने द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। अस्पताल का जायजा लेकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराया जाएगा। संबंधित अधिकारियों से चर्चा भी की जाएगी, वैसे हमारी सरकार व्यवस्था बेहतर करने के प्रयास में लगातार लगी हुई है।
-प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊर्जा मंत्री,मप्र