
माइग्रेशन के लिए छात्रों को करना पड़ रहा तीन से चार दिन का इंतजार
Gwalior JU News: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और वर्तमान में किसी अन्य विश्वविद्यालय में पढ़ना चाह रहे हैं तो आपको माइग्रेशन सार्टिफिकेट की आवश्यकता तो पड़ेगी ही। ऐसा है तो आपको थोड़ा सा परेशान होना पड़ेगा, क्योंकि आपको सबसे पहले एमपी आनलाइन से माइग्रेशन के लिए आनलाइन आवेदन करना होगा। फिर आवेदन की रसीद को लेकर विवि की नामांकन शाखा की खिड़की पर लाइन लगाकर उसे जमा करना होगा । इसके बाद आपको आपके भाग्य के अनुसार एक से लेकर तीन दिन में माइग्रेशन सार्टिफिकेट बनकर मिल जाएगा। ये हालात तब हैं जब आवेदक अधिक फीस देकर अर्जेंट मोड में आवेदन करता है। हालांकि अन्य विवि में आनलाइन आवेदन करने के बाद संबंधित दस्तावेज आवेदक के घर पर आ जाता है। इस व्यवस्था के परिणामस्वरूप छात्रों को अन्य शहर और राज्यों से आकर जेयू में धक्के खाने पड़ते हैं । कुछ छात्रों का आरोप है कि इस बात का फायदा उठा कर कुछ दलाल पैसे लेकर भी माइग्रेशन बनवा देते हैं।
नजर आते हैं एक जैसे ही हालत
जीवाजी में माइग्रेशन का आवेदन करने के दो विकल्प हैं। नार्मल और अर्जेंट। इनकी फीस में भी फर्क है। छात्रों का कहना है कि दोनों ही स्थिति में दो से तीन बाद ही हाथ में माइगे्रेशन आ पाता है। इससे सबसे अधिक समस्या बाहरी शहरों से आने वाले छात्रों को होती है।
तकनीक सुधारे जेयू़जिेयू खुद में परिवर्तन नहीं करना चाहता है। माइग्रेशन को आनलाइन आवेदन के बाद डाक से छात्र के घर भेज दिया जाए तो जेयू में दलाल व्यवस्था खत्म हो जाएगी।
हिमांशु श्रोती, सहमंत्री एबीवीपी
कश्मीर से आना पड़ा़मिैने और मेरे दोस्त ने जेयू से स्नातकोत्तर की है। अब हम दोनों को माइग्रेशन की आवश्यकता पड़ी तो कश्मीर से ग्वालियर आना पड़ा । अन्य विवि की तरह जीवाजी को भी अपनी तकनीक में सुधार लाना चाहिए।
शाहिद आलम, निवासी कश्मीर
जेयू खुद दलाली करवाता है़ऐिसा नहीं है कि जेयू प्रबंधन को पता नहीं है, अंदर ही अंदर चल क्या रहा है। जेयू प्रबंधन खुद दलाली करा रहा है। छात्रों को परेशान करना और इसकी आड़ में 200-500 कमाना जेयू की आदत में है।
वंश महेश्वरी, छात्रनेता- एनएसयूआइ
तकनीक में परिवर्तन कर आनलाइन आवेदन के बाद दस्तावेजों को डाक के माध्यम से छात्र तक पहुंचाने की व्यवस्था पर चर्चा चल रही है। जेयू छात्रों के हित को ध्यान में रख कर काम करता है। जल्द ही इस व्यवस्था की शुरूआत कर दी जाएगी।
डा. राजेंद्र कुमार बघेल, कुलसचिव , जेयू़
चार दिन बाद मिला माइग्रेशऩमिेरी छोटी बहन ने जेयू से एमएससी किया था। अब वह इंदौर से कोई अन्य कोर्स करना चाहती है। माइग्रेशन का आवेदन अर्जेंट मोड में किया था। आज चौथा दिन है। शाम पांच बजे के बाद मुझे माइग्रेशन सार्टिफिकेट दिया है।
पवन शर्मा , निवासी, इंदौर