Gwalior News: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। देश की सेवा करने वाले भारतीय सेना के सैनिक की मौत के बाद बीमा कंपनी उनके परिवार के सिर से छत तक छीनना चाहती थी। बीमा कंपनी ऋण सुरक्षा के तहत दिए जाने वाले इंश्योरेंस क्लेम को देने से ही मुकर गई और घर की नीलामी कर ऋण वसूलने के लिए बैंक वाले दबाव बना रहे थे। यह मेरे जीवन का सबसे यादगार मुकदमा है, जब असमय जान गंवाने वाले सैनिक और उनके परिवार को न्याय दिला पाया। यही ऐसा मुकदमा है, जो मुझे अहसास दिलाता है- मैं अपने पेशे के जरिये किसी मजबूर को न्याय दिलाने में कामयाब रहा। यह बात अधिवक्ता शिव शर्मा ने अपने करियर के यादगार मुकदमे को साझा करते हुए कही। इस बार मेरा यादगार मुकदमा कालम में पढ़िए, बीमारी से असमय जान गंवाने वाले सैनिक और अपने हक के लिए लड़ने वाले सैनिक के परिवार की कहानी...
सैनिक का नाम गोपनीय रखते हुए अधिवक्ता शिव शर्मा ने बताया कि 2019 में मकान बनाने के लिए सैनिक ने लोन लिया था। सैनिक ग्वालियर में ही रहता था। आठ लाख रुपये का लोन उन्होंने लिया था। मकान बन गया, परिवार इसमें रहने लगा। जब सैनिक ड्यूटी पर था, तब वह बीमार हो गए। जांच करवाई तो पता लगा उन्हें ट्यूवरक्लोसिस है। वह पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे, फिर मिलिट्री अस्पताल में भी इलाज चला। 12 मई 2021 को उनका निधन हो गया। ऋण सुरक्षा इंश्योरेंस ले रखा था। लोन उन्होंने एचडीएफसी बैंक से लिया था, ऋण सुरक्षा इंश्योरेंस एचडीएफसी लाइफ से था। जब उनका निधन हो गया तो परिवार ने इंश्योरेंस के लिए आवेदन किया। जिससे लोन का पैसा बैंक को बीमा कंपनी द्वारा अदा किया जा सके। आवेदन को बीमा कंपनी ने इस तर्क के साथ खारिज कर दिया- लोन धारक को बीमारी पहले से थी, इसकी सूचना नहीं दी गई और लोन ले लिया।
2020 में बीमारी का पता लगा। जबकि उन्होंने लोन 2019 में लिया था, लेकिन अस्पताल की रिपोर्ट को भी बीमा कंपनी द्वारा अमान्य कर क्लेम खारिज कर दिया। तब परिवार ने कंज्यूमर कमीशन में गुहार लगाई। अधिवक्ता शिव शर्मा ने बताया- जब यह मामला उनके पास आया, तब उनकी आंख से आंसू आ गए। देश सेवा करने वाले सैनिक के साथ भी बीमा कंपनी द्वारा यह व्यवहार किया जा रहा है। 16 नवंबर 2021 को कंज्यूमर कमीशन में आवेदन लगाया। इसके बाद फरवरी तक सुनवाई चली। 2 फरवरी 2022 को कंज्यूमर कमीशन ने बीमा कंपनी को आदेश दिया- पूरा लोन कंपनी द्वारा भरा जाएगा, परिवार को मानसिक क्षति के लिए 25 हजार रुपये और प्रकरण के लिए 10 हजार रुपये कंपनी से दिलाए गए।
अधिवक्ता शिव शर्मा ने बताया कि उपभोक्ता अब अपने हक के लिए कहीं भी कंज्यूमर कमीशन में शिकायत कर सकते हैं। पहले नियम था- जहां कंपनी, संस्था होगी वहीं शिकायत होगी वहीं सुनवाई होगी लेकिन उपभोक्ताओं की सुविधा को देखते हुए अब यह बदलाव हो गया है। इसलिए उपभोक्तओं के साथ अगर किसी भी कंपनी या संस्था द्वारा धोखाधड़ी की जाती है, उनके अधिकार पर अतिक्रमण किया जाता है तो कंज्यूमर कमीशन का दरवाजा खटखटाना चाहिए।