ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। फिर एक बार बारिश थम चुकी है और आसमान में धूप खिलने लगी है। बारिश के बाद निकली धूप में संक्रमण तेजी से पनपता है, क्योंकि ठंडक के बाद मिली गर्मी में बैक्टीरिया और वायरल दोनों तेजी से पनपने लगते हैं। वातावरण में अचानक से हुए परिवर्तन के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ऐसे समय में कम हो जाती है।
संक्रमण बढ़ रहा है और रोग प्रतिराेधक क्षमता कम हाे रही होती है, तो व्यक्ति बीमार होने लगता है। शरीर पर संक्रमण का भार बढ़ जाता है। बच्चे से लेकर बड़े तक सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार व अन्य बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इस मौसम में डाक्टर दवाओं की मदद से बढ़ते संक्रमण को रोकने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अचानक गर्मी बढ़ाने से हेल्थ पर सीधा असर पड़ता है। मौसम बदलने और अचानक गर्मी बढ़ने से दिन गर्म हो जाते हैं, हृयूमिडिटी बढ़ जाती है और गर्म हवाएं तेज चलने लगती हैं। गर्मी एक्ट्रीम होने पर हीट स्ट्रोक के साथ ही क्रोनिक हार्ट डिजीज होने लगती हैं।
तेज गर्मी बढ़ने से घर के बाहर रहने वाले लोगों पर ही नहीं बल्कि बच्चों, बुजुर्गों पर भी इफेक्ट पड़ता है, क्योंकि ऐसे लोग अपने बाडी टेम्प्रेचर को रेगुलेट नहीं कर पाते। बहुत ज्यादा हीट होने से एयर क्वालिटी, एयर पाल्यूशन भी इफेक्ट होता है।
हीट बढ़ने से संक्रामक रोगों का प्रसार बहुत होता है। तेज गर्मी में मच्छर भी बहुत पनपते हैं। ऐसे में डेंगू फीवर, चिकनगुनिया, मलेरिया वायरस बहुत तेजी से फैलते हैं। फूड बोर्न प्राब्लम्स जैसे फूड प्वाइजनिंग हो सकती है।
दरअसल, गर्मियों में फूड जल्दी खराब हो जाते हैं। फूड में जल्दी ही जर्म्स और बैक्टीरिया की वजह से फूड खराब हो जाता है। गर्मी बढ़ने से लोगों की मेंटर हेल्थ पर बहुत फर्क पड़ता है। इसकी वजह से डिप्रेशन, एंजाइटी, पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर तक हो जाता है।
डा विश्व गरिमा जैन, चिकित्सक