प्रियंक शर्मा, नईदुनिया। नगर निगम में कचरा प्रबंधन के नाम पर व्यवस्थाओं का कचरा किया जा रहा है। जनता के कार्यों के लिए विभागों के बीच आपसी सामंजस्य भले ही ना हो, लेकिन चोरी और बहानेबाजी के लिए परस्पर सहयोग में कोई कमी नहीं है। इसके दो उदाहरण हाल ही में सामने आए हैं।
शहर में कचरा ठिए समाप्त करने के लिए लगाए गए सेकंडरी वेस्ट वाहनों में शामिल डंपरों का दिन में जब तक इंजन भी स्टार्ट नहीं होता है, तब तक उनके नाम से डिपो से डीजल आवंटित हो जाता है और आधा घंटे बाद ही लैंडफिल साइट पर टनों कचरा लेकर आने की एंट्री कर दी जाती है। ये डंपर 45 लीटर डीजल लेकर लैंडफिल साइट पर सिर्फ एक चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कागजों में इनकी दौड़धूप पूरी दिखाई जा रही है।
इस गड़बड़ी को पकड़ने के लिए नगर निगम ने जीपीएस की व्यवस्था लागू कर रखी है, लेकिन यहां तीसरा विभाग भी सहयोग में जुटा है। डंपरों के जीपीएस बंद कराकर रिपोर्ट में डिटेल के बदले नो डाटा लिखकर भेज दिया जाता है। दरअसल, नगर निगम में डीजल चोरी के लिए लगातार नए-नए फंडे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ताजा मामला शहर के वार्ड क्रमांक एक, तीन, चार, पांच, छह व 10 में कचरे ठिए समाप्त करने के लिए लगाए गए दो डंपरों से जुड़ा हुआ है।
डंपर क्रमांक एमपी 07 जीए 9610 और एमपी 07 जेडएफ 5488 से जुड़ा हुआ है। ये दोनों डंपर ट्रिपल आइटीएम स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन में खड़े रहते हैं और सुबह आठ बजे के बाद में ही कचरा ठियों को हटाने के लिए निकलते हैं, लेकिन इनके नाम पर तानसेन नगर स्थित डिपो पर एक घंटा पहले ही सुबह सात बजे डीजल देना बताया जाता है और आठ बजे केदारपुर में कचरा लेकर आने की फर्जी एंट्री भी कर दी जाती है।
गत 26 जून को डंपर क्रमांक एमपी 07 जीएम 9610 सुबह 8:11 बजे सागरताल रोड आनंद नगर में जब पहला कचरा ठिया उठा रहा था, उससे ठीक आठ मिनट पहले ही केदारपुर में 8:03 बजे डंपर से 12 टन कचरा लाने की एंट्री हो गई। 10 बजे तक यह डंपर वार्डों में कचरा उठा रहा था, लेकिन केदारपुर पर 9:57 बजे दूसरे चक्कर की एंट्री हो गई। इसी दिन तीसरे चक्कर की एंट्री दोपहर 12:08 बजे की हुई। सबसे विशेष बात कि यह डंपर सिर्फ आखिरी एंट्री के समय ही केदारपुर पहुंचा था।
यही स्थिति दूसरे डंपर एमपी 07 जेडएफ 5488 की रही। डंपर ट्रांसफर स्टेशन से निकला ही नहीं और पूरे दिन फर्जी एंट्री का खेल चलता रहा। यह सारी जानकारी जब गड़बड़ी रोकने के जिम्मेदार अपर आयुक्त विजय राज के संज्ञान में लाई गई, तो उनका कहना था कि इतने बड़े सिस्टम में यह सब चलता रहता है। हमें यह चलेगा।
नगर निगम में डीजल चोरी से लेकर कचरा प्रबंधन की कई गड़बड़ियां नईदुनिया ने उजागर की हैं। भले ही फर्जी ट्रैक्टर-ट्राली को डीजल देना हो या फिर एक ही टिपर वाहन में तय से अधिक डीजल डालना। इसके अलावा बड़ी गाड़ियों को पाइंट काटकर डीजल देने के साक्ष्य भी अधिकारियों को मिल चुके हैं, लेकिन वे कार्रवाई करने के बजाय गड़बड़ियों को संरक्षण दे रहे हैं। नगर निगम में स्वच्छता और कार्यशाला के अपर आयुक्त विजय राज हैं, लेकिन कोई कार्रवाई करने के बजाय उनका रवैया टालमटोल भरा होने के कारण गड़बड़ियां बढ़ती जा रही हैं।
इन दोनों ही डंपरों में जीपीएस लगे हुए हैं और वे सही से काम भी करते हैं, लेकिन जानबूझकर इन वाहनों के जीपीएस बंद कराए गए हैं। पिछले डेढ़ माह से इनके जीपीएस बंद पड़े हुए हैं, लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। मिलीभगत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डिपो सुपरवाइजर गिर्राज शर्मा ने दो निजी ट्रैक्टर ट्राली क्रमांक 4047 और 1286 में जीपीएस की रीडिंग न आने की शिकायत जीपीएस कंपनी को वाट्सएप ग्रुप में लिखित में की, लेकिन इन दोनों डंपरों को लेकर कोई चर्चा नहीं की। इसका कारण है कि दोनों डंपरों को हर दिन 45-45 लीटर डीजल मिल रहा है और ये चक्कर सिर्फ एक काट रहे हैं।