नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। बांग्लादेश से आई सलमा नाम की महिला फर्जी दस्तावेज बनवाकर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मीनू सक्सेना बनकर रहने लगी। फारेस्ट रेंजर पद से रिटायर हुए जिन बुजुर्ग की देखरेख के लिए उनके बेटों ने इस महिला को काम पर रखा था, उन्हीं के नाम का उपयोग करके फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित अन्य दस्तावेज बनवा लिए।
जब बुजुर्ग का निधन हो गया तो खुद ही वसीयत भी तैयार कर ली। उनकी ढाई करोड़ रुपये कीमत की जमीन पर दबंगों का कब्जा करा दिया। बैंक खातों में भी पत्नी बनकर सेंध लगाई। जब जमीन के नामांतरण के लिए आवेदन लगाया, तब बुजुर्ग के बेटों को महिला की करतूत का पता लगा। अब उन्होंने ग्वालियर आकर एफआईआर दर्ज कराई है।
ग्वालियर में बहोड़ापुर थाना क्षेत्र के सदाशिव नगर में रहने वाले दीपक सक्सेना गुजरात में प्रशासनिक अधिकारी थे। स्वास्थ्य खराब रहने के चलते उन्होंने समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली। दीपक के भाई पहले विदेश में रहते थे, अभी पुणे में नौकरी कर रहे हैं। दीपक के पिता प्रेमनारायण सक्सेना फारेस्ट रेंजर के पद से रिटायर हुए थे। उनका कुछ समय पहले निधन हो गया।
कंस्ट्रक्शन साइट पर एक महिला काम करती थी, जिसने अपना नाम सलमा बताया था। वह बांग्लादेशी है। उसे पिता की देखरेख के लिए ग्वालियर ले आए थे, क्योंकि दोनों भाई बाहर रहते थे। सलमा को लगा कि पिता यहां अकेले रहते हैं तो उसने उनके नाम का उपयोग का फर्जी दस्तावेज बनवा लिए।
खुद को मीनू सक्सेना पत्नी प्रेमनारायण सक्सेना लिखने लगी। इसके माध्यम से उसने पीएनबी, यूनियन बैंक और अन्य बैंकों में उनके खातों में सेंध लगा दी। प्रेमनारायण का निधन हो गया तो उसने फर्जी वसीयत के माध्यम से मुरैना स्थित उनकी ढाई करोड़ रुपये कीमत की 15 बीघा जमीन के नामांतरण के लिए आवेदन किया, तब दीपक को धोखाधड़ी का पता लगा। वह ग्वालियर आए।
पड़ताल की तो सामने आया कि सलमा ने दो पेन कार्ड, तीन आधार कार्ड बनवा रखे हैं। यह आइडी दीपक को मिल गई। वह किसी दस्तावेज में खुद को प्रेमनारायण की पत्नी तो किसी दस्तावेज में खुद को प्रेमनारायण की बेटी बता रही है। इससे दीपक को पुलिस के सामने उसकी करतूत सामने लाने में आसानी हो गई।
दीपक ने बताया कि सलमा पूरा सामान समेटकर कहीं भाग गई है। उसकी इस भूमिका में कुछ स्थानीय लोगों का भी हाथ होने का संदेह है। पुलिस उसका पता लगा रही है।