Gwalior News: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। रेलवे स्टेशन पर एंबुलेंस न मिलने से दो लोगों की मौत होने की घटना के बाद अब जिम्मेदार जागे हैं। एंबुलेंस आने में देरी होने के कारण गत आठ जनवरी को मामा का बाजार निवासी 35 वर्षीय अमन कपूर की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने बुधवार को रेलवे के डिप्टी एसएस के बयान दर्ज किए। 108 एंबुलेंस के नोडल अधिकारी इंद्रपाल निवारिया को डिप्टी एसएस सोनकर ने अपने बयान में बताया कि उन्होंने घटना वाले दिन छह बार एंबुलेंस को फोन किया था, लेकिन हर बार गाड़ी व्यस्त होने की बात कही गई। जांच टीम ने डिप्टी एसएस की मोबाइल की काल हिस्ट्री देखने के बाद एंबुलेंस का संचालन करने वाली कंपनी जय अंबे इमरजेंसी को पत्र लिखकर पूछा है कि आठ जनवरी को एंबुलेंस कहां व्यस्त थी। इसके अलावा काल रिकार्डिंग की भी पूरी जानकारी मांगी है।
जांच पूरी होने तक एंबुलेंस के स्टाफ को बदलने के साथ ही इसे स्टेशन पर जीआरपी थाने के नजदीक स्थायी रूप से खड़ा कराने का निर्णय लिया गया है। गत आठ जनवरी को मामा का बाजार माधौगंज निवासी 35 वर्षीय अमन कपूर और उनकी मां बीनू कपूर का ट्रेन क्रमांक 22195 वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी-बांद्रा एक्सप्रेस के थर्ड एसी कोच बी-8 में बर्थ नंबर पांच और आठ पर आरक्षण था। ट्रेन शाम को 6:58 बजे प्लेटफार्म दो पर पहुंची। अमन अपनी मां के साथ जैसे ही कोच में चढ़ा, वैसे ही उसकी तबीयत बिगड़ी और वो बेहोश हो गया। अमन के बेहोश होते ही मां बीनू ने साथी यात्रियों और रेलवे के स्टाफ से मदद मांगी थी। रेलवे का स्टाफ अमन को ट्रेन से उतारकर प्लेटफार्म पर लाया और तत्काल इसकी सूचना 108 एंबुलेंस को दी। वहां से सिर्फ यहीं जवाब मिला कि एंबुलेंस अभी बिजी है। उधर बीनू कपूर ने अपने पति राज कपूर को भी फोन किया। राज कपूर मामा का बाजार स्थित निवास से जब तक स्टेशन पहुंचे तब तक एंबुलेंस वहां नहीं आई थी। ऐसे में निजी टैक्सी कर अमन को जेएएच के ट्रामा सेंटर पहुंचाया जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। भोपाल तक हंगामा होने के बाद नोडल अधिकारी इंद्रपाल निवारिया ने जांच शुरू करने के साथ ही जय अंबे इमरजेंसी को पत्र लिखकर पूछा है कि रेलवे के नंबर से कितनी बार फोन आए थे और गाड़ी कहां व्यस्त थी। इस दौरान स्टेशन के आसपास मौजूद एंबुलेंसों की भी जानकारी पूछी है।
जीआरपी थाने के रजिस्टर में लिखकर जाएगी एंबुलेंस
स्टेशन पर अब प्लेटफार्म क्रमांक एक के बाहर जीआरपी थाने के नजदीक एंबुलेंस की लोकेशन निर्धारित की गई है। स्टेशन पर अब एंबुलेंस सेवा उपलब्ध रहेगी। अचानक किसी यात्री की तबीयत स्टेशन पर बिगड़ी या कोई हादसा होने पर उसे तत्काल मदद मिल सकेगी। हालांकि यह सिर्फ स्टेशन के लिए ही उपलब्ध नहीं रहेगी, बल्कि आसपास के इलाकों से कोई काल आने पर भी इसे भेजा जाएगा। नई व्यवस्था के तहत जीआरपी थाने में एक रजिस्टर रखा जाएगा और कोई सूचना आने पर एंबुलेंस का स्टाफ उस रजिस्टर में लिखेगा कि किस नंबर से काल आया है और एंबुलेंस कहां गई है। इससे दोहरी निगरानी हो सकेगी और कंपनी व एंबुलेंस स्टाफ भी टालमटोल नहीं कर सकेगा।
28 दिन के अंदर रेलवे स्टेशन पर दूसरी घटना
28 दिन के अंदर रेलवे स्टेशन पर एंबुलेंस ने मिलने से यात्री की मौत की दूसरी घटना है। स्वास्थ्य विभाग की 108 एंबुलेंस सेवा पर गत दिसंबर माह में उस समय भी सवाल खड़े हुए थे, जब झांसी के निजी विश्वविद्यालय के कुलपति रणजीत सिंह की ट्रेन में तबीयत खराब हुई और उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। इस घटना में दो छात्रों द्वारा हाई कोर्ट जज की कार बीमार कुलपति को अस्पताल ले जाने के लिए छीनने को लेकर काफी हंगामा मचा था और मामले ने खूब तूल पकड़ा था। छात्रों को जेल भी भेजा गया था
सभी एंबुलेंस की होगी निगरानी, रोज चेक होगा रिकार्ड
नोडल अधिकारी इंद्रपाल निवारिया ने बताया कि इस मामले में बारीकी से पड़ताल की जाएगी और दोषी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा अब शहरी क्षेत्र में पदस्थ हर एंबुलेंस की विशेष निगरानी की जाएगी। इसके अलावा रोजाना कंपनी से रिकार्ड मंगाकर चेक किया जाएगा कि एंबुलेंस कहां-कहां गई और कितने मरीजों को अस्पताल पहुंचाया। स्टेशन की एंबुलेंस यदि कहीं काल पर जाती है और उसी दौरान रेलवे से भी कोई इमरजेंसी होती है, तो तत्काल दूसरे स्पाट की एंबुलेंस को भेजा जाएगा।