ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में जल्द ही ध्वनि वाले डस्टबिन नजर आएंगे। इसके माडल पर अभी काम चल रहा है। अभी इसका बिजली से चलने वाला प्रारूप तैयार किया गया है। जल्द ही इसे सोलर पैनल से चलने वाले डस्टबिन में तब्दील करने का प्रयास होगा। इस ध्वनि डस्टबिन को पीपीपी माडल पर लगाने का विचार है। कंपनी द्वारा इन डस्टबिनों को निगम द्वारा बताई जगह पर लगाया जाएगा। इसके बाद कंपनी इसके संधारण का खर्च विज्ञापन आदि से निकालेगी।
वर्तमान समय में स्वच्छ सर्वेक्षण आने पर ही स्वच्छता का कार्य शहर भर में दिखता है, जबकि यह कार्य अनावरत रूप से चलने वाला है। स्वच्छता का संदेश देने का कार्य नगर निगम के साथ ही ध्वनि वाले डस्टबिन भी करेंगे। कंपनी द्वारा तैयार किए गए डस्टबिन को अभी उसी जगह पर लगाया जा सकता है जहां पर बिजली का कनेक्शन हो। इसके साथ ही बिजली कनेक्शन लेने पर इसका अतिरिक्त खर्च भी आएगा। इसके चलते अब इस डस्टबिन को सोलर से चलने वाला बनाया जा रहा है।
साल भर चलेगा स्वच्छता का संदेश
स्वच्छ सर्वेक्षण, गीला-सूखा, हानिकारक व बायोमेडिकल बेस्ट वाले कचरे को अलग-अलग देने के लिए शहर के प्रमुख चौराहों व बाजारों में संदेश इन डस्टबिन के माध्यम से दिया जाएगा। इस डस्टबिन में संदेश को बदला भी जा सकेगा।
कैमरा लगा होने से हर तरफ रहेगी नजर
डस्टबिन में कैमरा भी लगा होगा। इसके कारण एक ओर जहां गंदगी फैलाने वालों पर नजर रखी जा सकेगी। इसके साथ ही बाजार में सुरक्षा की नजर से भी यह डस्टबिन अहम होंगे। ऐसे में बाजार की सुरक्षा करने में भी सहायता मिलेगी।
90 से एक लाख रुपये आएगी लागत
एक डस्टबिन को बनाने में 90 से एक लाख रुपये की लागत आएगी। फिलहाल शहर में लोहे व प्लास्टिक के डस्टबिन लगे हुए हैं। इसके कारण इनके टूटने की तादाद ज्यादा रहती है। लेकिन ये डस्टबिन मजबूत रहेंगे। इसलिए जल्द टूटेंगे नहीं।