
Gwalior smart city News: ग्वालियर (नप्र)। स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन को केंद्र सरकार से मिले एक हजार करोड़ रुपए के फंड में से शहर में अन्य विकास कार्यों की संभावनाएं अभी बनी हुई हैं। कार्पोरेशन द्वारा इस वर्ष अभी तक 600 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है। शेष 400 करोड़ रुपये में से 60 करोड़ रुपए प्रशासनिक व्यय यानी वेतन-भत्ते व अन्य खर्चों के लिए रिजर्व है। शेष 340 करोड़ रुपये से कई परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं। इनमें बिलों राशि के टेंडर और कुछ अन्य तकनीकी खामियों की वजह से प्रोजेक्ट छोड़ने पड़ रहे हैं। ऐसे में अधिकारियों के अनुमान के मुताबिक लगभग 20 करोड़ रुपये की राशि कार्पोरेशन के पास बच सकती है, जिसे शहर के अन्य विकास कार्यों में खर्च किया जा सकता है।
कार्पोरेशन इससे नए प्रोजेक्ट भी शुरू कर सकता है। स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन अब तक शहर में विभिन्न विकास कार्यों में 600 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर चुका है। इसमें स्मार्ट रोड, पार्कों का सुंदरीकरण, इमारतों की फसाड लाइटिंग, डिजिटल म्यूजियम और प्लेनेटोरियम, शासकीय प्रेस बिल्डिंग, अटल म्यूजियम सहित तीन दर्जन परियोजनाएं शामिल हैं। कार्पोरेशन की सुस्त वित्तीय प्रगति को देखते हुए स्मार्ट सिटी मिशन से लेकर मध्यप्रदेश नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों का जोर था कि बची हुई राशि लैप्स होने होने देने की बजाय नए प्रोजेक्ट लेकर काम शुरू कराए जाएं। इसके चलते गत सितंबर माह में स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने पांच सड़कों के प्रोजेक्ट के साथ ही स्ट्रीट लाइट संचालन और संधारण, अंडरग्राउंड फाल्ट डिटेक्शन सिस्टम, ट्रक माउंटेड गार्बेज सक्शन मशीन, फ्लोटिंग ट्रैश स्किमर, संग्रहालयों का अपग्रेडेशन, थीम पार्क निर्माण, पुराने निगम मुख्यालय की बिल्डिंग का उन्नयन आदि प्रोजेक्ट शुरू किए। इसके अलावा गांधी रोड सुंदरीकरण, निगम संग्रहालय का उन्नयन, कन्वेंशन सेंटर, जनकताल व सागरताल के पुनरुद्धार आदि प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ रुपये नगर निगम को ट्रांसफर किए हैं। इसके बाद भी कार्पोरेशन के पास अंत में लगभग 20 करोड़ रुपये की राशि अन्य विकास कार्यों के लिए बच जाएगी।
कार्पोरेशन ने एक साल पहले गोला का मंदिर से एयरपोर्ट तक भिंड रोड पर सर्विस लेन तैयार करने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। इसके तहत सड़क के दोनों ओर सात मीटर चौड़ी सर्विस रोड तैयार की जानी है। इसका ठेका भी 11 करोड़ रुपये में मैसर्स तोमर बिल्डर्स एंड कान्ट्रेक्टर्स को दिया गया था, लेकिन मौके पर निर्माण के लिए जगह ही मौजूद नहीं है। बांई तरफ पूरी तरह से पक्के निर्माण हो चुके हैं, जिन्हें तोड़ने के बाद ही काम आगे बढ़ सकेगा। इसके लिए अक्टूबर 2022 में निगम अमले ने सर्वे कर भवन स्वामियों को नोटिस भी जारी कर दिए थे, लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। ठेकेदार ने भी अभी सिर्फ नालियां बनाने का काम शुरू किया है। अधिकारी भी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सकेगा और लगभग सात करोड़ रुपए की राशि बच जाएगी।
कार्पोरेशन ने लगभग 25 करोड़ रुपए की रकम से शहर की स्ट्रीट लाइटों को रोशन करने का ठेका दिया है, लेकिन यह प्रोजेक्ट इतना फ्लाप हो चुका है कि समस्या सुलझ नहीं रही है। ऐसे में वर्तमान कंपनी का ठेका टर्मिनेट करने की नौबत आ गई है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट से भी निगम को राशि बचने की संभावना बनी हुई है। इसके अलावा अन्य प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित रकम के टेंडर में बिलो आफर आने पर भी कार्पोरेशन के पास फंड बचेगा, जिससे नए प्रोजेक्ट शुरू किए जा सकेंगे।
कार्पोरेशन के अधिकारियों ने वर्तमान में यह अंदाजा लगा लिया है कि अभी भी वित्तीय स्थिति में कार्पोरेशन के पास कुछ राशि जरूर बचेगी। ऐसे में कुछ नए प्रोजेक्ट शुरू किए जा सकते हैं। हालांकि कार्पोरेशन के कार्यकाल में सिर्फ सात माह का समय शेष है। ऐसे में संभावना है कि प्रोजेक्ट का चयन करने के बाद उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी फिर से नगर निगम को सौंप दी जाए। आचार संहिता खत्म होने के बाद अधिकारी प्रोजेक्ट और उसके क्रियान्वय की जिम्मेदारी पर निर्णय लेंगे।