Gwalior Swarn Rekha River News: प्रियंक शर्मा. ग्वालियर। ग्वालियर (नप्र)। हाईकोर्ट की फटकार और बजट की दरकार के बीच स्वर्ण रेखा को साफ करने का मामला अटका हुआ है। केंद्र सरकार के नमामि गंगे मिशन ने स्वर्ण रेखा में गंदा पानी बहने से रोकने के लिए 567 करोड़ रुपये की राशि देने से इनकार कर दिया है, क्योंकि यह मिशन सिर्फ नदियों को साफ करने से संबंधित है। हालांकि नगर निगम ने राज्य सरकार को भी बजट के लिए प्रस्ताव भेजा है, लेकिन जो सरकार की वित्तीय स्थिति है उसे देखते हुए बजट मिलना मुश्किल है। ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों ने पूर्व में चल रहीं अमृत योजना, सीवर सफाई जैसे कार्यों की राशि से ही स्वर्ण रेखा को साफ करने की तैयारी शुरू की है। इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर काम शुरू कराया गया है।
स्वर्ण रेखा नाले में वर्ष 2007-08 में वर्ल्ड बैंक से मिली राशि से सीवर की ट्रंक लाइन डालकर पक्का कर दिया गया था। उस समय परिकल्पना की गई थी कि इसमें साफ पानी बहेगा और नावें चलाई जाएंगी। कुछ समय यहां नावें चलाई भी गईं, लेकिन धीरे-धीरे कर शहर के 84 छोटे-बड़े नालों का निकास स्वर्ण रेखा में कर दिया गया। सालों पहले जो ट्रंक लाइन डाली गई थी, वह जगह-जगह से टूट गई। इसका नतीजा यह है कि अब स्वर्ण रेखा में गंदा और बदबूदार पानी बहता रहता है। इसको लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया द्वारा दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम स्वर्ण रेखा में गंदा पानी बहने से रोकने के लिए तीन अलग-अलग प्लान दे चुका है। पहले नमामि गंगे मिशन से बजट लेने के लिए कहा गया, तो दूसरी बार राज्य सरकार से राशि की मांग करना बताया गया। अब तीसरी बार अमृत योजना के दूसरे चरण का हवाला दिया जा रहा है। इसकी डीपीआर तैयार करने में ही ढाई महीने का समय लग जाएगा। यदि बजट मिलता है, तो दो साल का समय गंदा पानी बहने से रोकने में लग जाएगा।
वर्तमान में नगर निगम द्वारा अमृत योजना 2.0 की डीपीआर तैयार करने के लिए मैसर्स रुद्रा अभिषेक प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा हाईकोर्ट की फटकार के बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने अमृत योजना की स्टेट मैनेजमेंट मानिटरिंग यूनिट के तौर पर मैसर्स केपीएमजी इंडिया के एक डिजाइन को विशेष तौर पर लगाया है। ग्वालियर व भोपाल जोन में अमृत योजना के कार्यों की निगरानी के लिए नियुक्त मैसर्स टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीइ) को भी इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इन दोनों कंसल्टेंट कंपनियों के प्रतिनिधि ग्वालियर आकर दो दिन से स्वर्ण रेखा का सर्वे कर रहे हैं। जब डीपीआर तैयार हो जाएगी, तो इसे पहले टीसीइ को सौंपा जाएगा। टीसीइ को हरी झंडी मिलने के बाद एसएमएमयू इसे देखेगी। वहां से पास होने पर इसे विभाग की आंतरिक तकनीकी समिति के पास भेजा जाएगा। इसे राज्य स्तरीय तकनीकी समिति को भेजकर स्वीकृति ली जाएगी।
वर्तमान में नगर निगम की योजना है कि स्वर्ण रेखा नाले में खोदाई कराकर पुरानी ट्रंक लाइन को हटाकर उसके स्थान पर नई ट्रंक लाइन बिछाई जाए। लगभग 13 किमी लंबाई में इस ट्रंक लाइन को बिछाया जायेगा, जो गिरवाई से लेकर जलालपुर तक जाएगी। इस ट्रंक लाइन में ही नालों के गंदे पानी की निकासी कराई जाएगी, साथ ही अगल-बगल से गिरने वाले सीवर की लाइनों को भी इस लाइन से जोड़ा जाएगा। इसके बाद ट्रंक लाइन को दबा दिया जाएगा और फिर से उसे पक्का कराया जाएगा। इन सभी कार्यों में सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च होंगे, जो फिलहाल नगर निगम की खराब वित्तीय हालत के कारण होना संभव नहीं है।
राज्य सरकार को भेजा है प्रस्ताव स्वर्ण रेखा में गंदा पानी बहने से रोकने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। वहां से डीपीआर पर भी काम शुरू कराया गया है। बजट के संबंध में शासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।
हर्ष सिंह, आयुक्त नगर निगम