नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर: निजी-सरकारी जमीन पर कब्जों के मामले ही नहीं शासन की योजनाओं में भी कब्जों का बड़ा रोड़ा है। जिस स्वर्ण रेखा नदी के पुनरुद्धार के मामले में हाइकोर्ट की सख्ती के कारण अफसरों को फटकार लगी थी अब उसी प्रोजेक्ट में पौधरोपण में कब्जे परेशानी बने हुए हैं। वन विभाग को स्वर्ण रेखा नदी के दोनों ओर 200-200 मीटर पर 40 हजार पौधे लगाने हैं जिसके लिए बजट भी दिया गया है। यहां लगभग 30 हेक्टेयर में लोगों को वनाधिकार पटटे मिले थे लेकिन जितनी भूमि के पटटे मिले हैं वे अपनी हद से कई गुना अधिक जमीन को घेरे हुए हैं, इसी कारण निर्धारित जमीन जो चिन्हित की गई है उसमें पौधरोपण में परेशानी आ रही है। पौधरोपण का काम चार ब्लाक में किया जाना है। रायपुर डैम से गिरवाई तक यह पौधरोपण किया जाएगा।
बता दें कि स्वर्ण रेखा के पुनरुद्धार के मामले में हाइकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए संबंधित विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई थी जिसके बाद नगर निगम ने पूरी प्रोग्रेस रिपोर्ट से लेकर रिकार्ड पेश किया था। इस मामले में विश्वजीत रतौनिया ने याचिका दायर की है जिसकी सुनवाई के क्रम में यह हुआ है। शासकीय अधिवक्ता दीपक खोत ने हाईकोर्ट को बताया कि बीते 10 सालों में कुल अब तक 423 करोड़ रुपये की राशि मिली है जिसमें से 400 करोड़ रुपये अलग-अलग कामों में खर्च हुए हैं। 1500 किमी में सीवरेज लाइन बनी है जो कुल क्षेत्र का 80 प्रतिशत है। यहां कुल क्षेत्र 1800 से 1900 किमी है। यहां 1200 से 1300 किमी तक का क्षेत्र ठीक है। 15 प्रतिशत का जो 300 से 400 किमी का क्षेत्र है उसको रिपेयर या बदलना पड़ेगा। स्वर्ण रेखा के मामले में नगर निगम फायनल डीपीआर पेश करेगा जिसके बाद प्रोजेक्ट के कार्य शुरू किए जाएंगे।
2010 के बाद बढता गया अतिक्रमण
स्वर्ण रेखा नदी के आसपास वनाधिकार पटटे दिए गए थे जिसमें मैप के अनुसार 2010 के बाद अतिक्रमण बढ़ता चला गया। यह अब इतना बढ़ गया है कि हाइकोर्ट के निर्देश पर जो पौधरोपण किया जाना है वह पूरी भूमि पर नहीं किया जा सकता है। इसमें कुछ पहाड़ी एरिया भी है। वन विभाग के पास कुल अब 171 हेक्टेयर जमीन है जिसपर पौधरोपण शुरू किया गया है। वर्तमान में वन विभाग के पास 150 हेक्टेयर क्लियर जमीन है। यह प्रोजेक्ट 2023-24 से 2029-30 तक पूरा किया जाना है।
अब कब्जे हटाने होंगे तभी पूरा होगा प्रोजेक्ट
स्वर्ण रेखा नदी के आसपास 200-200 मीटर तक पौधरोपण का प्रोजेक्ट कब्जे हटने के बाद होगा, ऐसे में काम शुरू किया गया तो अधूरा ही काम होगा। अब वन विभाग इस मामले में प्रशासन की मदद ले सकता है क्योंकि यहां बड़ा आबादी क्षेत्र है। इस कारण प्रशासन व नगर निगम की मदद के बिना संभव नहीं होगा। वर्तमान में वन विभाग के अधिकारियों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है।