नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। ककैटो और पेहसारी बांध से 21 दिन का पानी तिघरा बांध पहुंच चुका है। अब तिघरा में दो माह का पानी जमा है जो 30 जुलाई तक शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए काफी है, लेकिन इस बीच मानसून नहीं आया और वर्षा नहीं हुई तो पानी का संकट खड़ा हो सकता है। इसको देखते हुए जल संसाधन विभाग ने जिला प्रशासन और नगर निगम को बांध से पानी लिफ्ट करने के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाने के लिए पत्र लिखा है। इसको लेकर अब जून माह में पानी लिफ्ट के लिए नगर निगम टेंडर प्रक्रिया अपनाने की तैयारी में है।
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री अग्निवेश सिंह का कहना है कि पेहसारी बांध से 350 एमसीएफटी पानी तिघरा के लिए छोड़ा गया था, 20 दिन बाद इसमें से महज 175 एमसीएफटी ही पानी तिघरा बांध में पहुंचा है। यह जो पानी पहुंचा है वह 21 दिन तक शहरवासियों की प्यास बुझा सकता है, क्योंकि हर दिन तिघरा से आठ एमसीएफटी पानी शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए सप्लाई किया जाता है, जबकि ककैटो बांध से पेहसारी के लिए 550 एमसीएफटी पानी छोड़ा गया था।
तिघरा बांध में फिलहाल 31 जुलाई तक का पानी उपलब्ध हो चुका है। ऐसे में चार महीने पहले नगर निगम के सुझाव पर जिला प्रशासन ने एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई शुरू कर दी थी। बता दें कि अंचल में पिछले दो सालों से सामान्य से कम बारिश हो रही है। पिछले साल तो लगभग 100 मिली मीटर पानी कम वर्षा हुई थी, जिसके कारण तिघरा सहित अन्य बांध खाली रह गए थे फिर भी प्रशासन ने नियमित पानी की आपूर्ति जारी रखी।
नगर निगम और जिला प्रशासन के अफसरों ने लोगों से भी अपील की है कि वह पानी की फिजूल खर्ची नहीं करें। नगर निगम ने भी वाहन धुलाई केंद्रों पर रोक लगा रखी है। लोगों को भी जरूरत का पानी खर्च करने की सलाह दी गई है।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा, इस कारण वर्षा भी अच्छी होगी। इस बार मानसून देरी से नहीं, बल्कि माना जा रहा है कि समय पर या उससे एक-दो दिन पहले ही आ जाएगा। इससे पानी को बांध से लिफ्ट करने की आवश्यकता शायद ही पड़े।
पेहसारी से छोड़ा गया पानी में से 50 फीसद ही तिघरा में पहुंचा। अब तिघरा में 31 जुलाई तक का पानी उपलब्ध हो चुका है। जून आखिर में मानसून आने से पान लिफ्ट करने की जरूरत न पड़े, लेकिन फिर भी नगर निगम और प्रशासन को पानी लिफ्ट कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाने के लिए पत्र लिखा गया है।
-अग्निवेश सिंह, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग।