Gwalior Tighra Dam News: ग्वालियर.नईदुनिया प्रतिनिधि। करीब 116 साल पुराने सिंधिया रियासतकालीन तिघरा बांध के दरवाजों के लीकेज का काम सर्दी कम होते ही शुरू किया जाएगा। ठंड के मौसम में पानी की गहराई में जाकर इन दरवाजों में हुए छेदों को भरना संभव नहीं है। इसके साथ ही मगरमच्छ व अन्य जलीय जीवों के हमले का खतरा भी है। ऐसे में सर्दी कम होने पर जलसंसाधन विभाग इस बांध के दरवाजों की मरम्मत शुरू कराएगा।
तिघरा बांध के सुराख परेशानी का सबब बने हुए हैं। बांध के दरवाजों में दो दर्जन से ज्यादा लीकेज हो गए हैं, जिनका आकार बढ़ता जा रहा है। इनसे रोजाना कई गैलन पानी बर्बाद हो रहा है। इन लीकेज को भरने के लिए दो साल पहले टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन किसी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं ली। बांध के संधारण का टेंडर 6.35 करोड़ रुपए का निर्धारित था, लेकिन भोपाल की गाला कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बिलो रेट पर पांच करोड़ 59 लाख रुपए में काम लिया है। जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ठंड के कारण कंपनी ने अभी काम शुरू नहीं किया है, क्योंकि ठंडे पानी के अंदर काम करना बड़ी चुनौती है। ऐसे में ठंड कम होते ही बांधों के सुराखों को भरने का काम किया जाएगा। गौरतलब है कि इस बांध को बनाने के लिए देश के महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की मदद ली गई थी। तब से आज तक यह बांध ग्वालियर की प्यास बुझा रहा है, लेकिन अब इस डैम में बड़े-बड़े लीकेज हो गए हैं, जो डैम के लिए खतरा हैं। तिघरा बांध में पानी के अंदर पाइंटिंग, ग्राउटिंग, बटरेस आदि कार्य में सर्वप्रथम रिमोट आपरेटेड व्हीकल की मदद से पानी के नीचे क्षतिग्रस्त भागों की वीडियोग्राफी की जाएगी एवं क्षतिग्रस्त हिस्सों का मूल्यांकन किया जाएगा। यह व्हीकल हाई रेजोल्यूशन कैमरा, गहराई मापने वाले यंत्र, आल्टीमीटर एवं लेजर से लैस होगा, जिससे क्षतिग्रस्त हिस्से को चिह्नित किया जाएगा।