Gwalior Tourism News: चेतना राठाैर, ग्वालियर नईदुनिया। एतिहासिक धरोहरों के लिए ग्वालियर अपनी पहचान विश्वभर में बना चुका है। मगर जब पर्यटकों की सुरक्षा और उनके लिए सुविधाओं की बात की जाए ताे हालात बहुत खराब हैं। अब शहर की एतिहासिक धरोहर जब यूनेस्को की सूची में शामिल हाेने वाली हैंं, जिसके लिए यूनेस्को की टीम शहर का दाैरा भी कर चुके है, ऐसे में आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया और राज्य पुरातत्त्व विभाग की जिम्मेदारी पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए और भी बढ़ जाती है। इन विभाग के अंतर्गत आने वाले मान्युमेंट्स पर काफी कमियां देखने को मिलती है। बाहर से आने वाले पर्यटकों को सबसे पहले टूरिस्ट गाइड की तलाश होती है, लेकिन धरोहरों पर लाइसेंसधारी टूरिस्ट गाइड नहीं मिलते हैं। इसलिए ऐसे टूरिस्ट गाइड जिन पर लाइसेंस नहीं होते, वह मनमर्जी के पैसे पर्यटकों से मांगते हैं। जिससे शहर की छवि खराब होती है।
16 मान्युमेंट्स के लिए 8 टूरिस्ट गाइडः शहर में एएसआइ और राज्य पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आने वाले 16 मान्युमेंट्स हैं। जिन पर लाइसेंसधारी 8 टूरिस्ट गाइड हैं। नियमानुसार हर मान्युमेंट्स पर टूरिस्ट गाइड की सूची हो या एतिहासिक धरोहरों के परिसर में टिकिट विंडो के पास टूरिस्ट गाइड की जानकारी पूरी डिटेल्स के साथ चस्पा होना चाहिए, लेकिन इस तरह की व्यवस्था कहीं नजर नहीं आती है। ऐसे में पर्यटकों को ऐसे टूरिस्ट गाइड का सहारा लेना पड़ता है, जिन्हें धरोहरों की किसी भी तहर की जानकारी नहीं होती और वह मनगडंत कहानियां सुनाकर इतिहास की छवि धूमिल करते हैं। साथ ही नियमों के अनुसार टूरिस्ट गाइड का फीस चार्ट भी लगाना होता है, जो कि किसी भी धरोहर पर नही हैं।
टूरिस्ट पुलिस या चौकीः देश-विदेश के पर्यटक अंजान शहर में धरोहरों को देखने आते हैं,उनकी सुरक्षा के लिए टूरिस्ट चौकी और पुलिस अनिवार्य रूप से होंगे ऐसी घोषणा की गई थी, लेकिन शहर में किसी भी मान्युमेंट्स पर टूरिस्ट पुलिस या चौकी की व्यवस्था नहीं है। वहीं मध्यप्रदेश के कान्हा, मांडू, ओरछा, खजुराहो, चित्रकूट, अमरकंटक, बुरहानपुर,बांधवगढ़,दतिया,देवास,पंचमढ़ी और महेश्वर सहित 12 डेस्टिनेशन पर टूरिस्ट चौकी बनाई गई हैं। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने ग्वालियर में ऐसी काेई व्यवस्था नही की है। अगर पर्यटक के साथ किसी भी तरह की घटना होती है तो शिकायत करने के लिए सबसे पहले मान्युमेंट्स के आसपास पुलिस थाने की तलाश करना होगी। उसके बाद ही वह अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगा। ग्वालियर फोर्ट पर 20 सुरक्षा गार्ड रखे हुए हैं। जिसकी जिम्मेदारी एसआइएस एजेंसी को सौंपी हुई है।
हेल्प लाइन या आडियाे हेल्प डेस्क भी नहींः बिना जानकारी के यदि टूरिस्ट अपने घर से निकलते हैं तो उसे ग्वालियर पहुंचकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि किसी भी धरोहर पर हेल्प डेस्क नहीं बनाई गई है। मदद के लिए उसे अपने फोन की मदद लेनी होगाी। वहीं हर डेस्टिनेशन के पास आडियो हेल्प डेस्क की व्यवस्था हाेना चाहिए, लेकिन ये व्यवस्था भी ग्वालियर में नहीं है। यदि यह सुविधा हाे ताे पर्यटक हर मान्यूमेंट्स की कहानियां या अन्य जानकारी ले सकेगा। क्योंकि ऐसी सुविधा हाेने पर पर्यटक को सभी इंस्ट्रक्शन स्वतः मिलते हैं।