नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। बिना नियम कायदों के यातनागृहों की तरह चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों की सात दिनों में जांच होगी। इनकी पूरी कुंडली एसडीएम स्तर के अधिकारी निकालेंगे जिसमें पुलिस व निगम के अधिकारी भी शामिल रहेंगे। कलेक्टर रुचिका चौहान की ओर से दलों का गठन किया गया है जिसमें हर केंद्र की बारीकी से जांच होगी।
संबंधित एसडीएम के नेतृत्व में गठित किए गए इन जांच दलों को राज्य मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार नशा मुक्ति केन्द्रों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी एसडीएम से सात दिवस के भीतर प्रतिवेदन मांगे हैं।
कलेक्टर ने निरीक्षण के दौरान मेंटल हैल्थ केयर एक्ट के तहत नशा मुक्ति केन्द्रों का पंजीयन एवं राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के मापदण्डों का पालन, मनोचिकित्सकों की व्यवस्था इत्यादि खासतौर पर देखने के निर्देश सभी एसडीएम को दिए हैं। एसडीएम के नेतृत्व में गठित किए गए जांच दलों में संबंधित एसडीओपी, बीएमओ, नगरीय निकायों के सीएमओ व जनपद पंचायतों के मुख्य कार्य पालन अधिकारियों को शामिल किया गया है।
बता दें कि शहर में महाराजपुरा स्थित मिनी गोल्डन सोसायटी के संस्कार नशा मुक्ति केंद्र में पंजाब नेशनल बैंक के फील्ड अधिकारी पंकज शर्मा की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी जिसके बाद पुलिस ने पांच लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया। इस मामले में रवि तोमर, कृष्णमुरारी दीक्षित व धर्मेंद्र जादौन को पकड़ा जा चुका है। हर्ष शिंदे व एक अन्य अभी फरार हैं। यह केंद्र बिना नियमों के संचालित हो रहा था।
कलेक्टर द्वारा नशा मुक्ति केन्द्रों के लिये जांच दल गठित करने के साथ ही निरीक्षण भी शुरू हो गया है। अनुविभागीय दण्डाधिकारी झांसी रोड अतुल सिंह ने गुरुवार को अपने क्षेत्र में संचालित जीकेएस नशा मुक्ति केन्द्र का निरीक्षण किया। यह केंद्र सिरोल में स्थित है और यहां 45 मरीज भर्ती मिले। बुनियादी सुविधाओं को मरीजों व स्वजनों ने ठीक बताया लेकिन अन्य कमियां भी मिलीं।
नशा मुक्ति केंद्रों में बिना नियमों के मरीजों का इलाज व अव्यवस्थाओं के बारे में सबसे पहले नईदुनिया ने बताया, एक केंद्र में मौत के बाद केंद्रों के हाल व सोते सिस्टम की पोल खोली। इसके बाद जिला प्रशासन ने हरकत में आकर अब एसडीएमवार टीमों का गठन किया तो सात दिन में अपनी जांच रिपोर्ट देंगी।
नईदुनिया टीम ने गुरूवार को नशा मुक्ति केंद्रों पर मोबाइल के जरिए संपर्क कर मरीज को भर्ती कराने के लिए संपर्क किया। इस पड़ताल में यही सामने आया कि केंद्रों में इलाज आदि की व्यवस्था खास नहीं है और डॉक्टरों से मोबाइल पर परामर्श लेकर मरीजों को दवाएं तक देने की जानकारी बताई गई। यह हैरानी की बात है कि इस तरह नशे से पीड़ित मरीज को बिना डॉक्टर को दिखाये इलाज कराया जा रहा है।
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1. अनुशासन नशा मुक्ति केंद्र,कांच मिल रोड: यहां टीम ने केंद्र से संपर्क नंबर काल किया और मरीज को भर्ती कराने व इलाज की बात की तो बताया गया कि डा से मोबाइल पर बात कर दवा पूछ लेते हैं और मरीजों को दे देते हैं। डाक्टरों के नाम पूछे तो डा चुंगलानी व डा अनिल दोहरे का नाम बताया। इनका प्रतिष्ठा नाम का केंद्र भी था जो अब बंद है।
2. निदान नशा मुक्ति केंद्र, हरिहर नगर, बहोड़ापुर यहां भी मरीज को भर्ती कराने को लेकर बात की गई तो डॉ गुप्ता और डॉ दोहरे का नाम बताया गया जो कि केंद्र में बुलाने पर मरीजों का इलाज करते हैं। मरीज की जांच भी कराने की सुविधा दी जाती है।
3. सुदर्शन नशा मुक्ति केंद्र, मेहरा टोल के पास इस केंद्र पर संपर्क करने पर मरीज को भर्ती कराने की बात की गई तो पहले शुल्क व व्यवस्थायें बताई गईं। यहां भी दूसरे नशा मुक्ति केंद्रों की तरह व्यवस्थाएं बताई गईं और इलाज का तरीका बताया।
4. विवेकानंद नशा मुक्ति केंद्र, थाटीपुर यह थाटीपुर डिस्पेंसरी के बगल से सरकारी भवन में संचालित है जिसे रमन शिक्षा समिति द्वारा चलाया जाता है। यहां संपर्क करने पर स्टाफ ने बताया कि परामर्श दिया जाता है, मरीज को भर्ती नहीं करते हैं।
5. स्व. कल्लाराम समिति का नशा मुक्ति केंद्र, कंपू स्व. कल्लाराम समिति का नशा मुक्ति केंद्र कंपू में स्थिति है जहां संपर्क करने पर बताया कि वह मरीज भर्ती नहीं करते हैं और यहां डॉक्टर को बुलवाकर इलाज कराया जाता है।