Contract Teacher: 7 साल की देरी पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने संविदा शिक्षक नियुक्ति याचिका की खारिज, जानिए पूरा मामला
संविदा शिक्षक(Contract teacher) भर्ती को लेकर वर्ष 2015 में दायर एक याचिका को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट(High Court) की ग्वालियर खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इसे लापरवाही और कानून की नजर में अस्वीकार्य बताया है।
Publish Date: Sat, 19 Jul 2025 09:03:37 AM (IST)
Updated Date: Sat, 19 Jul 2025 09:34:30 AM (IST)
हाईकोर्ट ने संविदा शिक्षक नियुक्ति याचिका की खारिज Contract Teacher Appointment PleaHighLights
- 2015 में दायर एक याचिका को ग्वालियर खंडपीठ ने खारिज किया।
- कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता ने लगभग 7 से 8 वर्षों की देरी की।
- कोर्ट ने कहा यह गंभीर लापरवाही है और कानून की नजर में स्वीकार्य नहीं है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। संविदा शिक्षक(Contract teacher) भर्ती को लेकर वर्ष 2015 में दायर एक याचिका को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट(Madhya Pradesh High Court) की ग्वालियर खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता ने नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने में लगभग 7 से 8 वर्षों की देरी की, जो कि गंभीर लापरवाही है और कानून की नजर में स्वीकार्य नहीं है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट की एकलपीठ के समक्ष दायर याचिका में बताया गया कि याची राजीव राठौर ने वर्ष 2007 में संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 पद के लिए आवेदन किया था और दावा किया कि उन्हें नजरअंदाज कर कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों को नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने चयन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए अपनी नियुक्ति की मांग की थी।
कोर्ट में यह सामने आया कि याचिकाकर्ता को 11 दिसंबर 2007 को ही अपील खारिज होने की जानकारी मिल चुकी थी, लेकिन उन्होंने इस निर्णय के खिलाफ समय रहते कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने लगभग 8 साल बाद 2015 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
हाईकोर्ट ने कहा कि जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक अपने अधिकारों की रक्षा हेतु निष्क्रिय बना रहता है, तो उसे कानूनी राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी और के मामले में मिले निर्णय के आधार पर स्वयं के लिए राहत की मांग करना उचित नहीं। अंत में कोर्ट ने याचिका को "देरी और लापरवाही" के आधार पर खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ने समय रहते कानूनी विकल्प नहीं अपनाया, इसलिए अब उसे राहत नहीं दी जा सकती।