MP News: वीरेंद्र तिवारी संपादकीय प्रभारी, नईदुनिया। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह भारत के भौगोलिक केंद्र में स्थित है। पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण जाने वाले यात्रियों का रास्ता प्रायः मप्र से होकर गुजरता है। रेल, सड़क और हवाई यातायात के लगभग सभी प्रमुख रूट मध्यप्रदेश को छूते हैं। इसके बावजूद अब तक हम इन्हें केवल 'गुजरने' वाले यात्रियों की तरह देखते रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम इस प्रवाह को बदलकर 'रुकने' वाले यात्रियों में बदलें। दुनिया के कुछ प्रमुख शहरों ने ट्रांजिट टूरिज्म के जरिये अभूतपूर्व आर्थिक लाभ कमाया है।
दुबई, दोहा, सिंगापुर, अबूधाबी और फिनलैंड के हेल्सिंकी जैसे शहरों ने अपने एयरपोर्ट्स और परिवहन तंत्र को न केवल यात्रा के साधन के रूप में देखा, बल्कि उन्हें अनुभव और पर्यटन का केंद्र भी बनाया। सस्ते ट्रांजिट वीजा, मुफ्त सिटी टूर, होटल में रियायती रुकने की व्यवस्था, एयरपोर्ट से फ्री ट्रांसफर और स्थानीय फूड व शॉपिंग कूपन जैसी सुविधाओं ने इन जगहों को यात्रियों के लिए रुकने लायक बनाया है। सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट से लेकर हेल्सिंकी एयरपोर्ट तक फ्री गाइडेड टूर यात्रियों को अतिरिक्त अनुभव देते हैं। यही मॉडल मध्यप्रदेश में भी संभव है — बस सोचने का नजरिया बदलना होगा। भले ही एयर कनेक्टविटी में हम समृद्ध नहीं हो लेकिन ट्रेन और राष्ट्रीय राजमार्गों से होकर जो हजारों यात्री मप्र से होकर गुजर रहे हैं उन्हें तो रोका ही जा सकता है।
कटी जो अपने पति के साथ मिलकर सतत टूरिज्म को बढ़ावा दे रही हैं।
मध्यप्रदेश के पास देश के दिल में स्थित होने का प्राकृतिक लाभ है, लेकिन यदि हम इसे केवल एक 'पारगमन' राज्य बनाकर छोड़ते रहेंगे तो इसका पूरा लाभ कोई और उठा लेगा। अब जरूरी है कि हम नई सोच के साथ ट्रांजिट टूरिज्म को अपनाएं, यात्रियों को रोकें, उन्हें प्रदेश की सुंदरता का अनुभव कराएं और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएं। आज का छोटा कदम, भविष्य में मध्यप्रदेश को पर्यटन के वैश्विक नक्शे पर चमका सकता है। ट्रेन, सड़क और हवाई मार्ग से मप्र ट्रांजिट सुपरहब बन सकता है - मध्यप्रदेश के रेलवे नेटवर्क में ऐसी अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें ट्रांजिट टूरिज्म से जोड़ा जा सकता है।
रेलवे नियमों के अनुसार 500 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने पर यात्री ब्रेक जर्नी का विकल्प चुन सकते हैं, यानी बीच में 1-2 दिन बिना अतिरिक्त किराया दिए रुक सकते हैं। यदि मप्र पर्यटन विभाग और रेलवे मिलकर ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर, इंदौर जैसे बड़े स्टेशनों पर आकर्षक पैकेज बनाएं तो हजारों यात्री अपने सफर में मध्यप्रदेश में ठहरने को तैयार हो सकते हैं। एक ओर उन्हें विश्व धरोहर स्थल, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि देखने को मिलेगी, वहीं राज्य को पर्यटन से अतिरिक्त आय होगी। मप्र सरकार ट्रैवल-थ्रू टूरिज्म कॉन्सेप्ट लागू करे - सड़क मार्ग पर भी मप्र के पास बेहतरीन अवसर हैं। एनएच-44, एनएच-27 सहित दस से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग मप्र से गुजरते हैं। इन पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त मल्टी-सर्विस ट्रांजिट सेंटर विकसित किए जा सकते हैं। जहां स्वच्छ वॉशरूम, आरामदायक स्लीपिंग पॉड्स, ब्रांडेड फूड कोर्ट, ईवी चार्जिंग स्टेशन और मिनी टूर बुकिंग काउंटर मौजूद हों। अमेरिका में 'रूट 66' हाईवे पर ऐसे सैकड़ों टूरिस्ट टाउन बने हैं जो आज भी पर्यटन से फल-फूल रहे हैं।
रात में पर्यटक नार्दन लाइट्स का अनुभव भी लैपलैंड के जंगलों में करते हैं। वैश्विक रूप से नार्दन लाइट्स को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक फिनलैंड नार्वे और आर्टिक सर्कल के पास स्थित देशों तक पहुंचते हैं।
मप्र के प्रमुख हाईवे जंक्शनों पर इस मॉडल को अपनाया जा सकता है। जहां तक हवाई यात्रा का सवाल है, मप्र को रीजनल एयर कनेक्टिविटी बढ़ानी होगी। छोटे शहरों जैसे पन्ना, ओरछा, सतना, रीवा जैसे स्थानों को प्रमुख मेट्रो शहरों से जोड़ा जाए ताकि पर्यटक सुबह उड़कर आएं, दिनभर पर्यटन स्थलों का आनंद लें और रात को लौट सकें। फिनलैंड में हेल्सिंकी से लैपलैंड के लिए सब्सिडी वाली सीधी उड़ानों की तरह यहां भी विशेष सुविधाएं दी जा सकती हैं। क्यों जरूरी है ट्रांजिट टूरिज्म मॉडल अपनाना - आज ट्रांजिट टूरिज्म दुनिया में अरबों डॉलर का उद्योग बन चुका है। सिंगापुर का चांगी एयरपोर्ट अकेले स्टापओवर यात्रियों से सालाना करोड़ों डॉलर की कमाई करता है। दुबई और दोहा ने तो अपने छोटे आकार के बावजूद स्टापओवर टूरिज्म के जरिये वैश्विक पहचान बना ली है।
वहीं हेल्सिंकी जैसे अपेक्षाकृत छोटे शहर ने खुद को आर्कटिक पर्यटन का प्रवेशद्वार बनाकर स्थायी लाभ उठाया है। क्यों जरूरी है ट्रांजिट टूरिज्म मॉडल अपनाना आज ट्रांजिट टूरिज्म दुनिया में अरबों डॉलर का उद्योग बन चुका है। उदाहरण के लिए, यदि आप फिनलैंड के हेल्सिंकी एयरपोर्ट पर स्टॉपओवर करते हैं, तो मात्र एक घंटे की उड़ान में आप प्रकृति के सबसे परिष्कृत और अद्भुत रूप में रुकने के लिए आमंत्रित हो जाते हैं। लैपलैंड की राजधानी रोवानिमी, जो आर्कटिक सर्कल पर स्थित है, वहां की पर्यटन एजेंसियां जैसे विजिट लैपलैंड यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि हेल्सिंकी से गुजरने वाला अंतरराष्ट्रीय यात्री कम से कम दो दिन वहां रुक कर सांता क्लाज विलेज, नार्दन लाइट्स और मिडनाइट सन जैसे अनोखे प्राकृतिक चमत्कारों का अनुभव करे। विजिट लैपलैंड की सोशल मीडिया मैनेजर सोफिया बताती हैं कि हर छोटी-बड़ी सुविधा इस तरह विकसित की जा रही है कि यात्रियों के लिए रुकना सहज और आकर्षक बन जाए।
लैपलैंड का रोवानिमी एयरपोर्ट जहां पहुंचने के लिए हेल्सिंकी से ही डायरेक्ट उड़ाने हैं, रोवानिमी एयरपोर्ट पर ही पर्यटकों को कई सुविधाएं मिल जाती हैं। लोग नार्दन लाइट्स और सैंटा क्लाज गांव घूमने के लिए जाते हैं।
सांताक्लाज विलेज और नार्दन लाइट्स के साथ ही मिड नाइट सन इसी प्रयास का एक स्वरूप है जहां अब बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। रोवानिमी में ही 'युर्त डिस्ट्रिक्ट' जैसे सतत इको-टूरिज्म प्रयास भी हो रहे हैं। इसकी संचालिका मिसेज काटी मुओटका बताती हैं कि वे बड़े बिजनेस हाउसों द्वारा अंधाधुंध निर्माण से दूर, प्राकृतिक सौंदर्य को सुरक्षित रखते हुए फिनिश जीवनशैली से साक्षात्कार कराने का प्रयास कर रही हैं। काटी, उनकी मंगोलियाई सहायिका और उनके पति मिलकर जंगलों के भीतर एक ऐसा मॉडल विकसित कर रहे हैं, जो पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए सतत पर्यटन को बढ़ावा देता है।
यही सोच मध्यप्रदेश के लिए भी प्रेरणा बन सकती है। यदि रेलवे स्टेशनों, राष्ट्रीय राजमार्गों और हवाई अड्डों पर ट्रांजिट टूरिज्म हब बनाए जाएं, और यात्रियों को कुछ घंटों या दो-तीन दिन ठहरने के लिए आकर्षित किया जाए, तो मप्र भी अपने सांस्कृतिक वैभव, प्राकृतिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहरों के बल पर राष्ट्रीय ट्रांजिट टूरिज्म का बड़ा केंद्र बन सकता है। इससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था में भी जबरदस्त उछाल आएगा।
सुझाव — कैसे आगे बढ़े मप्र रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर डिजिटल डिस्प्ले और हेल्प डेस्क बनें जो ट्रांजिट टूर पैकेजों की जानकारी दें। हाईवे टोल नाकों और प्रमुख जंक्शनों पर साइनबोर्ड लगाकर नजदीकी पर्यटन स्थलों के आकर्षण बताए जाएं। एयरपोर्ट्स पर फ्री या सस्ते सिटी टूर पैकेज उपलब्ध कराए जाएं। पर्यटन विभाग और स्थानीय होटल एसोसिएशनों के बीच करार कर सस्ते स्टे और लोकल फूड ऑफर शुरू किए जाएं।