
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। प्रदेशभर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) दवा स्टोर की स्टाक सत्यापन और प्रस्तुति रिपोर्ट में ग्वालियर सीएमएचओ दवा स्टोर को मध्य प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं इंदौर और भोपाल टॉप-10 से बाहर है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अनिवार्य दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में छोटे जिलों ने बड़े शहरों को पीछे छोड़ दिया है।
ग्वालियर सीएमएचओ दवा स्टोर से जिले के ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों को दवाओं की सप्लाई की जाती है, जहां 448 में से 418 प्रकार की दवाएं स्टाक में मौजूद पाई गई हैं। पहले स्थान पर रहे छिंदवाड़ा में 424 और दूसरे स्थान वाले आगर मालवा सीएमएचओ दवा स्टोर में 422 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं। वहीं ग्वालियर सिविल सर्जन दवा स्टोर रैंकिंग में 14वें स्थान पर है। यहां 530 अनिवार्य दवाओं में से केवल 405 ही उपलब्ध हैं।
यह अंतर दर्शाता है कि जिला अस्पताल के स्टाक मैनेजमेंट में सुधार की आवश्यकता है।सिविल सर्जन स्टोर में टीकमगढ़ का प्रदर्शन बेहतरजिला अस्पताल (सिविल सर्जन स्टोर) की श्रेणी में टीकमगढ़ 530 में से 430 दवाओं की उपलब्धता के साथ प्रदेश में पहले स्थान पर रहा है। इसके बाद क्रमश: आगर मालवा, रीवा, धार और खंडवा का स्थान आता है।
इस रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि प्रदेश के सबसे विकसित स्वास्थ्य ढांचे वाले शहर इंदौर और भोपाल टॉप-10 की सूची में जगह नहीं बना पाए हैं। वहीं, जबलपुर 14वें नंबर पर रहा, जो वहां दवाओं की किल्लत की ओर इशारा करता है।
रैंक जिला उपलब्ध दवाएं (कुल 448 में से)