नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के इंदौर की हुकुमचंद मिल के फार्मूले के आधार पर 32 वर्षों से बंद जेसी मिल मजदूरों को भुगतान के संकेत देने से मजदूरों को एक बार फिर अपना बकाया मिलने की उम्मीद जागी है। हालांकि यह प्रक्रिया लगभग छह महीने से चल रही है। उच्च न्यायालय में भी नौ सितंबर की तारीख लगी है। इस तारीख पर परिसमापक (लिक्विडेटर), सरकार व मिल मजदूरों को अपना पक्ष रखना है।
मिल मजदूरों के नेता भी भुगतान को लेकर आशान्वित हैं। इंटक नेता राजेंद्र नाती ने बताया कि घोषित रूप से 1998 से बंद जेसी मिल के 8037 के कर्मचारियों का भुगतान लंबित है। अब तक केवल 40 करोड़ रुपये के लगभग मजदूरों में बंटे हैं। भुगतान के मामले में कई पेंच है, जिन्हें सरकार को सुलझाना है। यह भुगतान जेसी मिल की जमीन सहित अन्य संपत्ति का आकलन कर किया जाना है। इस संपत्ति पर बैंक की देनदारी भी है।
500 से अधिक मजदूरों ने अपने बकाया भुगतान के लिए कोर्ट में भी केस दायर किए हैं। आरोप- प्रत्यारोप: भाजपा जिलाध्यक्ष अभय चौधरी का कहना है कि जेसी मिल बंद होने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील शर्मा का कहना है कि हर चुनाव में भाजपा से छोटे से बड़े नेता मिल मजदूरों का वोट हासिल करने के लिए बकाया देना का वादा करते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच से कई बार जेसी मिल मजदूरों को भुगतान का वादा कर चुके हैं, लेकिन आज तक एक पैसा नहीं मिला। जबकि इस क्षेत्र के विधायक प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं।
हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हुई थी। तब से 5,895 कर्मचारी सदस्यता शुल्क का भुगतान करने के लिए भटक रहे हैं. हाउसिंग बोर्ड द्वारा मिल देनदारों का 425 करोड़ 89 लाख रुपये भोपाल स्थित बैंक में जमा कराया जा चुका है। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद अब 26 दिसंबर से श्रमिकों के खाते में भुगतान भेजा जाना शुरू होने की संभावना है। मुख्यमंत्री द्वारा इसका शुभारंभ किये जाने की उम्मीद है।