अमित मिश्रा, नईदुनिया, ग्वालियर। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा साइबर अपराध पर प्रभावी नियंत्रण लगाने और अपराधियों तक पहुंचने के लिए पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित(ट्रेंड) करने वाली संस्था आइ4सी की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश पुलिस ने साइबर क्राइम मिटिगेशन सेंटर शुरू किया है। इसकी शुरुआत भोपाल से हुई है।
इस सेंटर में काम करने वाली राज्य साइबर सेल की टीम का फोकस ठगों तक जाने वाली रकम को रोकना और रकम फ्रीज़ करवाने के बाद फरियादी को पैसा वापस दिलाने पर होगा। आने वाले दिनों में ग्वालियर सहित प्रदेश भर में स्थित राज्य साइबर सेल के नोडल थानों में भी यह मिटिगेशन सेंटर शुरू होंगे। इसके लिए पुलिस अधिकारियों का चयन किया जा रहा है। पुलिस शिकायत के दो घंटे के भीतर ठगों तक पहुंचने वाली राशि को फ्रीज करा सकेगी।
जैसे ही किसी के साथ साइबर फ्राड होता है तो पैसा अलग-अलग पे-वालेट व बैंक खातों में जाता है। इन खातों की पूरी लेयर तक मिटिगेशन सेंटर की टीम पहुंचती है और इन पैसों को फ्रीज़ करवाती है। फिर फरियादी को पैसा वापस दिलवाने की पूरी प्रक्रिया से अवगत कराकर कोर्ट में आवेदन करवाया जाता है। ताकि फरियादी को उसका पैसा बैंक से वापस मिल सके।
राज्य साइबर सेल के पुलिस अधीक्षक प्रणय नागवंशी ने नईदुनिया को बताया कि अब तक मिटिगेशन सेंटर में पूरे प्रदेश से पहुंची साइबर फ्रॉड की शिकायतों के बाद करीब 60 करोड़ से ज्यादा की रकम को साइबर ठगों तक पहुंचने से पहले ही बचाया गया।
कोई भी साइबर फ्राड होने के बाद पैसा अलग-अलग राज्यों के बैंक खातों के ठग ट्रांसफर करते हैं। यह खाते किराए के होते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर और ग्रामीण परिवेश से आने वाले अधिकांश लोग होते हैं, विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर खाते खुलवाए जाते हैं। इन्हीं खातों में पैसा आता है। ताकि पुलिस उलझी रहे।
ठगी का पैसा खातों में जाने के तुरंत बाद नहीं निकल पाता। दो घंटे की अवधि में अगर शिकायत की जाए तो तुरंत ही पैसा फ्रीज कराने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इससे पैसा ठग निकाल नहीं पाते और पैसा वापस मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है।
मिटिगेशन सेंटर सभी नोडल थानों में शुरू होना है। इसके लिए ऐसे पुलिसकर्मियों का चयन किया जा रहा है, जो हिंदी के साथ अंग्रेजी भी जानते हों। इसका कारण है कि बैंक से लेकर पे-वालेट और पड़ताल में ई मेल करने से लेकर अंग्रेजी में बात करने की जरूरत पड़ती है।
राज्य साइबर सेल का मिटिगेशन सेंटर सिर्फ मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित साइबर नोडल थानों में प्राप्त शिकायतों में ही रुपये फ्रीज़ करवाने का काम करेगा। केंद्रीय हेल्पलाइन 1930 में मदद मिलने में ही कई बार घंटों गुजर जाते हैं। इसलिए मिटिगेशन सेंटर प्रभावी है।