नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के सुपर कॉरिडोर से रेडिसन चौराहा तक के रूट पर दिसंबर 2025 तक कमर्शियल मेट्रो संचालन शुरू करना अब मुश्किल होता जा रहा है। मेट्रो प्रबंधन के दावे भले ही दिसंबर में संचालन शुरू करने के हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कह रही है।
11 किलोमीटर लंबे इस सेक्शन में अभी तक न तो रेलवे डिजाइन और संरचना संगठन (RDSO) द्वारा निरीक्षण किया गया है, न ही रेलवे सेफ्टी कमिश्नर (CMRS) की प्रक्रिया आरंभ हो सकी है। निरीक्षण से पहले स्टेशन, सिग्नलिंग, थर्ड रेल जैसे जरूरी कार्यों का पूरा होना अनिवार्य है। लेकिन फिलहाल इन कार्यों में काफी देरी हो रही है।
इस सेक्शन में कुल 11 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिनमें से सिर्फ तीन सुपर कॉरिडोर स्टेशन 1, सुपर कॉरिडोर स्टेशन 2 और भंवरासला ही पूरी तरह तैयार हैं। यहां लिफ्ट, एस्कलेटर, एंट्री-एग्जिट, ट्रैक और सिग्नलिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। बाकी 8 स्टेशनों पर अभी तक सिग्नल रूम, कंट्रोल रूम, टेली-कॉम इक्विपमेंट, प्लेटफॉर्म गेट्स, इलेक्ट्रिक पैनल, छत और अन्य बुनियादी संरचनाओं का निर्माण अधूरा है।
मेट्रो के डायरेक्टर सिस्टम शोभित टंडन पिछले कुछ महीनों से छुट्टी पर हैं, जिससे यह पद खाली पड़ा है। इस पद पर अधिकारी की गैरमौजूदगी ने निरीक्षण और अनुमतियों की प्रक्रिया में रुकावट पैदा कर दी है, क्योंकि इस पद की जिम्मेदारी निरीक्षण प्रक्रिया के लिए बेहद अहम मानी जाती है।
MR-10 से रेडिसन चौराहा के बीच वायडक्ट पैकेज-2 का काम दिलीप बिल्डकॉन कंपनी ने किया था। हालांकि कंपनी ने काम पूरा कर दिया है, लेकिन मेट्रो प्रबंधन द्वारा उसका 42 लाख रुपये का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। जब तक यह भुगतान और डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड की औपचारिकताएं पूरी नहीं होतीं, तब तक अन्य एजेंसियों को सिग्नलिंग व थर्ड रेल का कार्य करने में भी दिक्कतें आ रही हैं।
मेट्रो रेल प्रबंधन के एमडी एस. कृष्ण चैतन्य का कहना है कि अगस्त तक सभी निर्माण कार्य पूरे करने के बाद RDSO को प्रस्ताव भेजा जाएगा। नवंबर तक CMRS की प्रक्रिया पूरी करने और दिसंबर तक मेट्रो संचालन की योजना है। यदि मौजूदा कंपनी सहयोग नहीं करती तो दूसरी एजेंसी से कार्य करवाया जाएगा।