नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। दोस्त की ट्रेन से रहस्यमयी तरीके से गुमशुदगी के मामले में कार्रवाई न होने से परेशान एक युवक ने जब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया, तो कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि पहले संबंधित थाने में विस्तृत जानकारी के साथ दोबारा आवेदन दें।
ग्वालियर निवासी तरुण शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि 3 जुलाई 2025 को वह अपने दोस्त शंभूपाल के साथ शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस से दिल्ली से ग्वालियर लौट रहा था। यात्रा के दौरान ट्रेन में ग्वालियर के ही एक अन्य युवक से शंभूपाल का विवाद हुआ, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गया।
मारपीट के बाद कुछ ही देर में ट्रेन में किसी यात्री ने आकर तरुण को बताया कि शंभूपाल चलती ट्रेन से कूद गया है। इस पर तरुण ने तत्काल रेलवे हेल्पलाइन 139 पर सूचना दी और ट्रेन में मौजूद RPF से संपर्क की कोशिश की। दोस्त की कोई जानकारी न मिलने पर तरुण ने आगरा, लखनऊ और प्रयागराज तक जाकर उसे ढूंढा, लेकिन शंभूपाल का कोई पता नहीं चल सका।
थक-हारकर 5 जुलाई को तरुण ने महाराजपुरा थाने और आरपीएफ ग्वालियर को लिखित में सूचना दी, लेकिन उसकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। इसके बाद उसने एसपी ग्वालियर को व्यक्तिगत रूप से शिकायत सौंपी और आरपीएफ आगरा को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा।
कार्रवाई नहीं होने पर तरुण ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। लेकिन कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी बेहद अस्पष्ट है और घटना की विधिवत जानकारी तत्काल पुलिस को नहीं दी गई। ऐसे मामलों में सीधे अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करना उचित नहीं है।
कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए यह सलाह दी कि याचिकाकर्ता अब पूरे तथ्यों और सबूतों के साथ संबंधित पुलिस थाने में पुनः आवेदन कर सकता है।