ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने गुरुवार को उस बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई की, जिसमें एक मां ने अपनी बेटी मिलने की गुहार लगाई है। कोर्ट ने नारी निकेतन में रह रही बेटी से मिलने की अनुमति दे दी है। वह अब हर दिन मिल सकती है। एक युवती अपने प्रेमी के साथ घर छोड़कर भाग गई थी। पिता ने गोला का मंदिर थाने में बेटी के गुमशदा होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद हाई कोर्ट में बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। पुलिस ने प्रेमी से युवती को बरामद कर उसे कोर्ट में पेश किया। यहां युवती ने विवाह करने की जानकारी दी, लेकिन सुनवाई के दौरान उसने गलत शब्दों का उपयोग किया। इसके चलते कोर्ट ने पाया कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए उसे नारी निकेतन भेज दिया। उससे मिलने की किसी को भी अनुमति नहीं दी गई। उसकी मां ने यह कहते हुए आवेदन पेश किया था कि उसकी बेटी की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए उसे मिलने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने मां को मिलने की अनुमति दे दी है। याचिकाकर्ता की ओर पैरवी अधिवक्ता अजीत भदौरिया ने की।
बच्चों से मां को अलग करने के मामले में श्योपुर कलेक्टर और एसपी को भेजा पत्र
ससुरालियों द्वारा घर से निकाले जाने व बच्चों को न देने के मामले में प्रभारी कलेक्टर आशीष तिवारी ने श्योपुर कलेक्टर व एसपी को पत्र लिखा है। पत्र लिखा है कि इस मामले में महिला के पति जो कि डाक्टर है कदाचरण के कृत्य की श्रेणी में आ रहा है, जिस पर कार्रवाई की जाए। पीड़ित महिला ने जनसुनवाई में आकर शिकायत की थी कि मेरे बच्चे बहुत छोटे हैं, एक चार साल व एक छह साल का बेटा है। आठ दिन पहले ससुराल में मारपीट कर घर से निकाल दिया और बच्चों को साथ नहीं आने दिया। बच्चे रो रहे हैं,वो मुझे और मैं उन्हें याद कर रही हूं। मुझे बच्चों से मिला दो और मेरे पास भिजवा दो। ़जिनसुनवाई में शिकायत करने वालीं दीपिका शाक्य ने बताया कि 2014 में उनकी शादी बसंत शाक्य के साथ हुई थी। ससुराल साकेत नगर ग्वालियर में है। पति श्योपुर के विजयपुर में मेडिकल आफिसर हैं। दीपिका ने बताया कि कुछ समय पहले भी मारपीट हुई थी और आठ दिन पहले मारपीट की और माता-पिता बात करने पहुंचे तो उनके साथ भी अभद्रता की। घर से बच्चों को बिना साथ दिए निकाल दिया। अब दीपिका ने अपने बच्चे दिलाने की मांग की है।