अमित मिश्रा, नईदुनिया, ग्वालियर। डिजिटल फ्रॉड अब केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं रहा। देशभर में बढ़ते साइबर ठगी के मामलों ने अब लोगों की जान लेनी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश में एक ही महीने में दो आत्महत्या की घटनाएं सामने आ चुकी हैं- पहली ग्वालियर में और दूसरी रीवा में। पीड़ित इस कदर मानसिक रूप से टूट जाते हैं कि वे आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठा लेते हैं।
ग्वालियर के हीरा नगर निवासी रीना प्रजापति ने 12 जून को जहर खाकर आत्महत्या कर ली। वह ऑनलाइन कुत्ता खरीदना चाहती थीं और एक लिंक के माध्यम से धोखाधड़ी का शिकार हो गईं। 15 दिन तक मानसिक तनाव में रहने के बाद, उन्होंने जान दे दी। ठगों ने उनसे 1.70 रुपये लाख ठग लिए थे।
65 वर्षीय सरोज दुबे, रीवा के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के निवासी थे। उन्हें पुराने चांदी के सिक्कों के बदले करोड़ों रुपये दिलाने का झांसा देकर ठगों ने उनके खाते से 60,000 रुपये की ठगी कर ली। बार-बार प्रताड़ना झेलने के बाद उन्होंने 5 जुलाई को अपनी लाइसेंसी बंदूक से आत्महत्या कर ली।
देशभर में बढ़ रही हैं डिजिटल ब्लैकमेलिंग से आत्महत्याएं
कर्नाटक के बेलगावी में डियोगजेरोन संतन और उनकी पत्नी फ्लावियाना ने 50 लाख की ठगी के बाद सुसाइड कर लिया था।
कानपुर में एक BPEd छात्रा को ठगों ने धमकाकर उसके वीडियो वायरल किए, जिससे परेशान होकर उसने फांसी लगाई।
साइबर सेल का अलर्ट
डीएसपी संजीव नयन शर्मा, राज्य साइबर सेल के अनुसार, “ठगी से डरने की बजाय समय पर रिपोर्ट करना ज़रूरी है। पीड़ित 1930 पर कॉल करके अपनी रकम फ्रीज करा सकते हैं। हर जिले में साइबर सेल सक्रिय है। ज़रूरत पड़ने पर पीड़ितों की काउंसलिंग भी की जाती है।”
ठगी से बचने के लिए क्या करें?
1. किसी अनजान लिंक या कॉल पर जानकारी शेयर न करें।
2. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते वक्त URL और ऐप की सत्यता जांचें।
3. धोखाधड़ी की स्थिति में तुरंत 1930 या नजदीकी थाने में संपर्क करें।
4. साइबर जागरूकता सेमिनारों में भाग लें और दूसरों को भी सतर्क करें।