अनूप भार्गव, नईदुनिया, ग्वालियर। वैदिक काल से ही यह ज्ञात है कि पूजा-हवन और अनुष्ठानों में प्रयोग होने वाली सामग्रियां औषधीय गुण भी रखती हैं। इन पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकाश डालने के लिए केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा देशभर में विज्ञानियों की देखरेख में एक अध्ययन शुरू किया गया है ताकि यह जाना जा सके कि किस तरह ये स्वास्थ्य के लिए भी हितकारी हैं।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) द्वारा शुरू अध्ययन का उद्देश्य यह जानना भी है कि पूजन, हवन और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों में कौन-कौन से औषधीय, जैविक और पर्यावरणीय गुण छिपे हैं। इस परंपरागत ज्ञान को संरक्षित करने के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी इसको बढ़ावा दिलाने का भी प्रयास है।
यह अध्ययन मार्च 2026 तक चलेगा। एक वर्ष की अवधि में इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवधि में सीसीआरएएस की टीमें देश के विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में जाकर डेटा एकत्र करेंगी और फिर उसका विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। देश में आज भी कई मौखिक ज्ञान परंपराएं हैं जो कि लिखित रूप में दर्ज नहीं हैं। यह अध्ययन उन रीति-रिवाजों, सामग्रियों और प्रयोगों का दस्तावेजीकरण करेगा। इससे यह ज्ञान न केवल अगली पीढ़ियों तक पहुंचेगा, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर भी प्रस्तुत किया जा सकेगा।
केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा अध्ययन कराया जा रहा है। हमारे जिले में भी उनकी टीमें अध्ययन पर कर रही हैं। टीम जनजातीय क्षेत्रों, पुजारियों, आयुर्वेदाचार्यों और लोक वैद्यों से साक्षात्कार के माध्यम से जानकारी जुटा रही हैं। हमारा स्टाफ उनका सहयोग करता है। - डॉ. जीपी वर्मा, जिला आयुष अधिकारी।
हवन का न केवल आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि हवन में प्रयोग होने वाले घी या गुड़ के जलने से ऑक्सीजन का निर्माण होता है। हवन का धुंआ वायुमंडल को शुद्ध बनाता है, जिससे करीब 94 प्रतिशत हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। हवन में आम की लकड़ी से फार्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है, जिससे खतरनाक जीवाणु वातावरण से नष्ट हो जाते हैं। यह भी पाया गया है कि हवन से निकलने वाला धुआं बाहर निकल जाने पर भी 24 घंटे तक वातावरण में शुद्धता बनी रहती है।