Navratri 2021: मनीष शर्मा, ग्वालियर नईदुनिया। मंगलवार को नवरात्रि का सांतवा दिन है। इस दिन मां काली की पूजा अर्चना की जाती है। ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार पुरी ने बताया की मां के नौ स्वरूप में से एक कालरात्रि का रूप काफी रौद्र है, लेकिन उनका दिल बेहद ही कोमल है। कालरात्रि माता की पूजा जो भी भक्त दिल से करता है, उस पर मां की विशेष कृपा रहती है। इसके साथ ही देवी कालरात्रि अज्ञानता का नाश कर अधंकार मे रोशनी लाती हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। इनकी पूजा करने से ग्रह-बाधाओं की समस्या भी दूर हो जाती है। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से सभी भक्त भय-मुक्त हो जाते हैं। देवी कालरात्रि के चार हाथ हैं। उनकेे एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में हैं। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है।
मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प और शुभ रंगः मां कालरात्रि को रातरानी का पुष्प अर्पित करें। मां को रातरानी का पुष्प काफी प्रिय है। मां को लाल रंग प्रिय है।
मां कात्यायनी का भोगः मां कालरात्रि को गुड़ सबसे ज्यादा पसंद है। आज के दिन मां को गुड़ का भोग जरूर लगाएं।
कालरात्रि देवी का मंत्रः मां दुर्गा के इस स्वरूप की साधना करते समय इस मंत्र का जप करना चाहिए। कालरात्रि का सिद्ध मंत्र, ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।
पूजा विधिः नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें, फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें।