Navratri 2022: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। शीतला माता मंदिर के पास सांतऊ गांव में गजाधर जो शीतला माता के पहले भक्त थे रहते थे। वे प्रति दिन यहां से गोहद के खरौआ गांव के देवी मंदिर में गाय के दूध से माता का अभिषेक करने जाया करते थे। गजाधर की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां कन्या रूप में प्रकट हुईं और गजाधर से अपने गांव ले जाने को कहा। पर गजाधर के पास मां को ले जाने कोई साधन नही था। गजाधर ने माता से कहा कि में आपको पैदल कैसे लेजा सकता हुं। तो माता ने कहा तुम अपने गांव जाओ और वहां जाकर मेरा ध्यान करना में वहां प्रकट हो जाऊंगी गजाधर ने ऐसा ही किया और माता रानी प्रकट हो गईं। तब गजाधर ने माता से वहीं रुकने की कहा। तब माता सांतऊ गांव से जंगल मे जाकर विराजमान हो गईं जहां गजाधर ने माता के मंदिर का निर्माण कराया। तब से महंत गजाधर के वंशज इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। नवरात्रि के दिनों में यहां मेले का आयोजन होता है। इस दौरान यहां दूर-दूर से माता के भक्त पैदल चलकर दर्शन करने आते हैं।
शीतला माता मंदिर पुजारी जीतू भगत: सांतऊ स्थित शीतला माता मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना हैं। माता की कृपा ऐसी है कि सांतऊ व आसपास के गांवों में खुशहाली ही खुशहाली है। यहां जो भी सच्चे मन से मां की आराधना करता है उसकी मुराद पूरी होती हैं। एक समय जब यहां जंगल था तब माता के दर्शन करने शेर भी आते थे। शीतला माता को डकैत और पुलिस दोनों ही बहुत मानते थे। इसका प्रमाण यहां अंचल के कुख्यात डकैतों के साथ-साथ डकैत मारने वाले पुलिस वालों द्वारा चढ़ाए गए घंटे हैं। जो आज भी मंदिर में टंगे हुए है।