नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। ग्वालियर अंचल के करीब 15 हजार नर्सिग छात्रों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। चार साल बाद परीक्षा देने के बाद छात्रों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन नर्सिंग घोटाले की जांच करने वाले सीबीआई अफसर के रिश्वत कांड में फंसने के बाद एक बार फिर नर्सिंग कालेजों के जांच के दायरे में आना छात्रों के लिए मुसीबत पैदा कर सकता है। यही वजह है कि जिले सहित अंचल के करीब 110 नर्सिंग कालेजों में अध्ययनरत छात्र अपने भविष्य को लेकर चितिंत हो उठे हैं। छात्रों की नजर अब सीबीआई जांच के आदेश पर टिकी हैं।
दरअसल छात्रों की चिंता इसलिए भी है कि जिन छात्रों को अब तक डिग्री मिल जानी चाहिए थी, वे फर्स्ट ईयर की परीक्षा दे रहे हैं। जांच और नर्सिंग कालेजों की मनमानी के बीच छात्रों को चार साल पिसना पड़ा। अब जब परीक्षा देकर सपने पूरे करने की बारी आई तो दोबारा सीबीआई जांच की फांस सामने आ गई। बताया जा रहा है कि नर्सिग कालेज खुलकर कहते है कि वे मानकों का पालन नहीं करेंगे, क्योंकि उनके पैसे तो जांच करने वाले सीबीआई अफसरों की जेब भर चुके हैं।
असल में फर्जी नर्सिंग कालेजों ने कागजों में खुद के यहां सौ या इससे ज्यादा बेड की जानकारी दी थी, कोविड के समय अफसरों ने इनसे संपर्क करके मरीजों के लिए बेड मांगे तो इनकी पोल खुल गई और जांच में अनियनितताएं सामने आने लगी। इसके बाद कोर्ट में याचिका दायर की गई। वर्ष 2019 में सरकारी से लेकर निजी नर्सिंग कालेज के सत्र शून्य कर दिए गए। इससे परीक्षाओं का संचालन नहीं हुआ। इसके बाद छात्रों ने न्यायालय में गुहार लगाई तो परीक्षा देने की छूट मिली, जैसे तैसे अब परीक्षा शुरू हुई तो सीबीआई अफसर के रिश्वत का मामला सामने आ गया और मामला उलझ गया।
संगठन छात्रों के साथ चार साल बाद छात्रों को परीक्षा देने का अवसर मिला है, लेकिन अफसरों के द्वारा दलाली करने के मामले सामने आने के बाद दोबारा जांच होने का डर छात्रों को सता रहा है। लेकिन संगठन छात्रों के साथ हैं। न्याय के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी।
-विष्णु पांडे, प्रदेश अध्यक्ष, नर्सिंग छात्र संगठन।