- अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 9 अक्टूबर को मनेगी शरण पूर्णिमा
ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनधि। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो कोई मां लक्ष्मी खीर का भोग लगाता है। उसे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जिससे साल भर तक घर में धन-दौलत की कमी नहीं होती। मान्यतानुसार, शरद पूर्णिमा के दिन गाय के दूध का खीर बनना शुभ होता है। इस दिन खीर बनाकर मिट्टी, चांदी या कांच के बर्तन में रखकर मां लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए। साथ ही खीर को चांद को रोशनी में रखना चाहिए।
शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि अगले दिन 10 अक्टूबर को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय समय - शाम 05 बजकर 58 मिनट रहेगा। शरद पूर्णिमा पर चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है और चारों दिशाओं में चंद्रमा की रौशनी फैली हुई होती है।
चंद्रमा से होगी अमृत की वर्षा
मान्यता है कि इस रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती है। शरद पूर्णिमा का कोजागरी और रास पूर्णिमा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है, इसलिए रात में खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखने का विधान है। मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाया जाता है। शरद पूर्णिमा पर ही श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।
शरद पूर्णिमा का व्रत रखने और इस रात मां लक्ष्मी का विशेष पूजन करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है, मान्यता है कि जिस पर ये किरणें पड़ जाए उसके गंभोर रोग समाप्त हो जाते हैं। इस दिन रात में मां लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती है और जो शरद पूर्णिमा की रात भगवान विष्णु - मां लक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना करता है उसे अपार धन और वैभव का आशीर्वाद मिलता है।